मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश : इस मामले में क्या करना चाहिए

ज्यादातर महिलाओं को मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश का अनुभव होता है। यह आमतौर पर इस स्टेज में हार्मोन में बदलाव के कारण होता है। ज्यादातर मामलों में उम्र के साथ हॉट फ्लैश की मात्रा में कमी आती है।
मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश : इस मामले में क्या करना चाहिए

आखिरी अपडेट: 24 जनवरी, 2020

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश आना महिलाओं के जीवन के इस स्टेज में एक आम लक्षण है। यह अप्रिय लक्षण तो है ही, कुछ मामलों में कई सालों तक बना रहता है। इससे पीड़ित महिलाओं को काफी असुविधा होती है।

हॉट फ्लैश का अनुभव अक्सर रात को होता है। इस स्थिति में उन्हें रात का पसीना (night sweats) कहा जाता है, और यह नींद पर असर डाल सकता है। बहुत सी महिलाओं को लगता है कि यह लक्षण उनके रोजमर्रा की ज़िन्दगी को प्रभावित करता है।

कई वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार कुछ विशिष्ट जन समूहों में हॉट फ़्लैश ज्यादा सालों तक होते हैं। अगर हॉट फ़्लैश हल्के ढंग से हो तो इस मामले में इलाज की ज़रूरत कम ही होती है। लेकिन जब वे गंभीरता से उभरें तो इस मामले में ख़ास उपायों की ज़रूरत होती है।

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश आने से कई अंगों में अचानक ही गर्मी की अहसास होता है। अक्सर रात को यह स्थिति ज्यादा बिगडती है और नींद में खलल डालती है।

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश आना इस स्टेज में मेडिकल कंसल्टेशन का मुख्य कारण होता है। आमतौर पर यह अचानक ही गर्मी के अहसास से शुरू होता है जो चेहरे और छाती में शुरू होता है और फिर पूरे शरीर में फैल जाता है।

यह आम तौर पर दो और चार मिनट के बीच रहता है और बिना किसी सूचना के किसी भी समय शुरू हो जाता है। कुछ महिलाओं को पसीना भी आता है और इस एपिसोड के अंत में ठंड लगती है और कंपकंपी होती है।

कुछ महिलाएं हॉट फ्लैश के दौरान घबराहट और एंग्जायटी के तीव्र अनुभव करती हैं। हालांकि यह आम तौर पर दिन में एक या दो बार होता है, फिर भी कई बार एक घंटे बाद दोबारा उभर सकता है।

प्रीमेनोपॉज़ के दौरान ऐसे हॉट फ्लैश का होना आम बात है। मेनोपॉज़ के बाद हॉट फ्लैश आमतौर पर औसतन पांच से सात साल तक आते हैं, हालांकि वक्त के साथ उनकी तीव्रता घट जाती है। कुछ महिलाएं दस साल तक उनसे पीड़ित रहती हैं।

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश के कारण

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश क्यों आते हैं इसका सही कारण विज्ञान अभी नहीं जानता। हालांकि यह माना जाता था कि उम्र के इस स्टेज में होने वाले हार्मोन के उतार-चढ़ाव ही इसका कारण होते हैं। स्पष्ट कहें तो एस्ट्रोजन का लेवल घटने से मस्तिष्क का वासोमोटर केंद्र (vasomotor center) अलग-अलग व्यवहार करता है। इससे शरीर के टेम्परेचर पर असर होता है।

विशेषज्ञों ने स्थापित किया है कि इमोशनल स्ट्रेस हॉट फ्लैश की तीव्रता और उसकी आवृत्ति को प्रभावित करता है। इसके अलावा, भारी मात्रा में भोजन, शराब और तंबाकू का सेवन इन एपिसोड पर तेज असर डालते हैं।

अनुमान लगाया गया है कि मेनोपाज के दौरान 80% महिलाओं में ये एपिसोड होते हैं। हालांकि चार में से सिर्फ एक महिला ही तेज और लगातार आने वाले हॉट फ्लैशसे पीड़ित होती है। दूसरों के लिए यह एक सामान्य लक्षण होता है जिसपर ध्यान नहीं जाता और साधारण फैन से राहत पायी जा सकती है।

हॉट फ्लैश का मैनेजमेंट

हॉट फ्लैश का मैनेजमेंट

इन एपिसोड के मैनेजमेंट के लिए आपका डॉक्टर लाइफस्टाइल में बदलाव और कुछ दवाओं का सुझाव दे सकता है।

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश के मैनेजमेंट के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट हार्मोन से जुड़ा है। कुछ मामलों में डॉक्टर हार्मोन थेरेपी लिखते हैं जिसमें एस्ट्रोजन का सेवन करना होता है। हालांकि इस तरह के ट्रीटमेंट में संभावित जोखिम होते हैं। इस कारण हर मामले का बहुत सावधानीपूर्वक किसी डॉक्टर से मूल्यांकन कराया जाना चाहिए। डॉक्टर दो साल से ज्यादा दिनों तक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सलाह नहीं देते हैं

दूसरे मामलों में डॉक्टर ऐसी थेरेपी की सलाह देते हैं जिसमें एंटीडिप्रेसेंट (antidepressants) की कम डोज होती है। हालांकि ये गंभीर हॉट फ्लैश के मैनेजमेंट में हार्मोन थेरेपी जितने असरदार नहीं हैं। इसी तरह एंटीडिप्रेसेंट के कई साइड इफेक्ट होते हैं जैसे कि चक्कर आना, मतली, ड्राई माउथ, वजन बढ़ना और यौन इच्छा में कमी।

डॉक्टर कुछ महिलाओं में लक्षणों से राहत पाने के लिए एंटीकोनवल्सेंट (anticonvulsant) लिख सकते हैं। सबसे गंभीर मामलों में “स्टैलेट गैंग्लियन ब्लॉक” (stellate ganglion block) नाम की एक प्रक्रिया का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में गर्दन में कई नसों में एनेस्थेसिया दी जाती है। इसका असर तो आशाजनक है, लेकिन यह पूरी तरह से सिद्ध नहीं है।

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अतिरिक्त जानकारी

मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश का इलाज जरूरी नहीं कि दवाओं से ही किया जाए। ज्यादातर मामलों में घरेलू इलाज पर्याप्त हैं। वे शायद ही कभी उम्मीद से ज्यादा वक्त तक रहते हैं या विशेष ट्रीटमेंट की मांग करते हैं।

मसालेदार भोजन से परहेज करते हुए एक स्वस्थ आहार बनाए रखना सबसे अच्छा है। महिलाओं को कॉफी, शराब और अत्यधिक चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए। वजन कम करना एक हेल्दी उपाय है। डॉक्टर टोबैको के सेवन की सलाह नहीं देते हैं।

इसी तरह हल्के नेचुरल फाइबर वाले कपड़े पहनना और सभी कमरों को खूब हवादार बनाए रखना ठीक होता है। कई प्रोफेशनल रिलैक्सेशन टेकनीक जैसे योग या ताई ची लगातार करने की सलाह देते हैं। क्योंकि स्ट्रेस वह फैक्टर है जो मेनोपाज के दौरान हॉट फ्लैश की स्थिति को बिगाड़ता है।



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