शांत रहिए : वक्त को घाव भरने और सब-कुछ ठीक करने का अवसर दीजिये
आप माने या न माने, समय चिरस्थायी है। देर-सबेर, यह हर व्यक्ति को और सभी चीजों को यह पहले जैसा कर देगा। सांस लीजिए और शांत रहिए, क्योंकि इस समय आपकी जो तकलीफ है वह वक्त के साथ ठीक हो जाएगी।
याद रखिए : दिन गुजरने के साथ-साथ आपका शोक दूर हो जाएगा और धीरे-धीरे आपके आँसू सूख कर नई आशा में बदल जाएँगे।समय के हाथों के दो गुण हैं। ये आपकी पीड़ा दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं या आपको किसी ऐसे व्यक्ति में बदल सकते हैं, जो अन्दर पीड़ा से भरे होने के बावजूद काम करता है।
समय वह एक मात्र साधन है जिससे आप डिप्रेशन से निपट सकते हैं या भावनात्मक आघात को हल्का कर सकते हैं।
शांति और और संतुलन से परिपूर्ण भविष्य जिसे पाने के आप वाकई योग्य हैं, के लिए आपको इच्छाशक्ति, ऊर्जा, निजी आत्मबल और मजबूत भावनात्मक प्रयास की जरूरत होगी।
वक्त को तमाम घाव भरने दीजिये
आपने ढेरों मीठी-मीठी बातें सुनी होंगी और धारणाओं को बनते देखा होगा। आप शायद इन कहावतों से परिचित हो चुके होंगे जो ऐसे वायदे करती हैं, “जिनके दिल अच्छे होते हैं, उनके पास जीवन अच्छी चीजें लाता है,” या, “जो इंतजार करते हैं उनका हमेशा भला होता है”।
अपने जीवन के इस मोड़ पर शायद आप अच्छी तरह जान चुके होंगे कि अच्छे लोगों के साथ गलत बातें हो सकती हैं, और यह भी कि चाहे आप कितनी भी हसरतों से उम्मीद क्यों न करें, खुशी खुद-ब-खुद आपका दरवाजा नहीं खटखटाती।
इससे हमारा मतलब क्या है? यह बहुत ही आसान है। जीवन जीने का मतलब है एक बुद्धिमान योद्धा बन कर जीना, जो जानता है कि किन लड़ाइयों को लड़ा जाए और किन से बचकर रहना ही ठीक है।
आपको नई भावनात्मक रणनीतियों को विकसित करना पड़ेगा जो इन जटिल और मांगों से भरे परिदृश्य में आपको जीवित बचे रहने में मदद करेंगी।
इसे भी पढ़ें : क्या सच में वक़्त सबकुछ ठीक कर सकता है?
ठीक होने का मतलब है कई स्तरों से होकर गुजरना
मान लीजिए, आपको कोई चोट लगी है। इसके ठीक होने के लिए आपको पहले कटी हुई जगह को बंद करना पड़ेगा या घाव पर बैंडेज लगाना पड़ेगा। आपको इलाज और आराम के लिए समय की जरूरत है।
भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक घाव भी इनसे अलग नहीं हैं।
- आपको ठीक होने और पहले जैसा होने के लिए समय की जरूरत है।
- शोक से मुक्ति मिलने के लिए आपको समय की जरूरत है – शांत होने और चिंतन करने के लिए।
- आपका दिमाग बिछुड़ाव, असफलता और नुकसान से उसी तरह निपटता है जैसे जल जाने से या शारीरिक आघात से।
- इस दौरान जब आपका ध्यान खुद पर लगा रहता है, तो चिंतन करने के लिए आपके दिमाग के रासायनिक तत्वों को वक्त की जरूरत होती है।
- इससे बचिए मत, क्योंकि आप पर जो गुजरी है उसे मान लेने के लिए यही एकमात्र उपाय है।
इसे भी पढ़िए : नयी शुरूआत करने के लिए अपने दर्द को भूल जायें
देर-सबेरे सच्चाई हमेशा सामने आती है
फिर भी, मुश्किल के दौर से जीत कर निकलने के लिए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने की जरूरत नहीं है।
यदि आप अपने विचारों को दोषमुक्त नहीं करते या कुछ लोगों से अपना पीछा नहीं छुडाते तो समय आपके घाव अपने-आप नहीं भरेगा।
- समझदारी से आगे बढ़ने के लिए आपको कठोर विकल्प लेने की जरूरत पड़ेगी। इसी तरह आप गुजरते समय को ईमानदारी से झेल सकते हैं और अपने भविष्य में प्रवेश कर सकते हैं।
- चाहे कुछ भी हो जाए सच्चाई हमेशा उजागर होकर रहती है।
- यदि किसी ने अपनी झूठी बातों से आपको धोखा दिया है, तो शांत रहिए, आज नहीं तो कल उसे अपनी धोखाघड़ी के जाल में फंसना ही पड़ेगा।
- जब आपने कठोर सच्चाई सामने रखी और लोगों ने आपकी बात नहीं सुनी, तब भी शांत रहिए। वह समय आएगा जिसमें उन्हें आपकी सच्चाई का एहसास हो जाएगा।
इसलिए आपको शांत रहने की जरूरत है। पाखंड कभी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता।
किसी न किसी बिंदु पर झूठ का महल ढह जाएगा और झूठे को वह मिल जाएगा जो उसके लिए मुनासिब है।
कठिन वक्त में शांत कैसे रहें
काम का दबाव, आपके संबंधों में संवाद की समस्या, आपके बच्चों के लिए समय का अभाव या बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के क्लांत और थका महसूस करना – ये सभी हमारे दैनिक जीवन के पहलू हैं।
कोई दलील दे सकता है, हम यह भूल चुके हैं कि कैसे खुश रहा जाए। फिर भी इसका कारण कहीं ज्यादा गहरा और जटिल है। हम एक तरह की अस्तित्व से जुड़ी यंत्रणा अनुभव करते हैं जो हमारी प्राथमिकताओं को धुंधली कर देती है।
ध्यान रहे :
- जटिल वक्त में शांत रहिए और याद रखिए कि आपके लिए सबसे अहम क्या है। उस पर ध्यान केंद्रित कीजिए।
- भावनात्मक शांति, मानसिक शांति की अवस्था से मिलती है। आप वही हैं जो आप सोचते हैं। इसलिए अपनी सोच को रचनात्मक, सकारात्मक और आशाप्रद चीजों पर केंद्रित करने की कोशिश कीजिए।
- अगर आपके मन में बीते हुए कल, पिछली गलतियों और अतीत की निराशाओं ने घर कर लिया है, तब आप आगे नहीं बढ़ पाएँगे। आप और भी ज्यादा मानसिक उथल-पुथल से भुगतेंगे।
- अपने मन के विचारों को अनुकूल कीजिए। शांत रहिए और माइंड-फुलनेस की प्रैक्टिस कीजिए। अपना ध्यान ‘यहाँ और अब’ पर केंद्रित कीजिए। अपने दिल को रौशन कीजिये।
- Walker, M. P., & van der Helm, E. (2009). Overnight Therapy? The Role of Sleep in Emotional Brain Processing. Psychological Bulletin. https://www.mendeley.com/catalogue/overnight-therapy-role-sleep-emotional-brain-processing/
- Panksepp, J. (2003). Feeling the pain of social loss. Science. https://www.mendeley.com/catalogue/feeling-pain-social-loss-2/
-
Rusconi, E. (2016). Tiempo al tiempo. In VIII Congreso Internacional de Investigación y Práctica Profesional en Psicología XXIII Jornadas de Investigación XII Encuentro de Investigadores en Psicología del MERCOSUR. Facultad de Psicología-Universidad de Buenos Aires.