एंग्जायटी अटैक के समय शांत होने के लिए 7 सुझाव
कभी-कभी कोई ऐसी बात हो जाती है जिसे हम सहन नहीं कर पाते हैं या जिसकी वजह से हम घबरा जाते हैं। अपने शरीर पर हमारा काबू नहीं रहता। दिल तेज़ी से धड़कने लगता है और हम कांपने लगते हैं। पसीना आने लगता है और थोड़ी देर के लिए कुछ दिखाई और सुनाई नहीं देता। इसे एंग्जायटी अटैक कहते हैं।
यह अचानक होता है। इसलिए ऐसे समय पर अपने को संभालने में मुश्किल होती है।
ऐसे हालात में अपनी साँस पर नियंत्रण करना चाहिए। यह काम आसानी से करने के लिए आप पेट या छाती पर अपना हाथ रख सकते हैं। इस तरह आपको साँस लेने की प्रक्रिया पर अपना ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिल सकती है।
इस लेख में हम आपको एंग्जायटी अटैक के लक्षणों के शुरू होते ही अपने को शांत करने के लिए 7 सुझाव देंगे।
एंग्जायटी अटैक क्या है?
एंग्जायटी अटैक को पैनिक अटैक भी कहते हैं। यह एक तीव्र प्रतिक्रिया है जिसके कारण शरीर के कुछ कार्यों पर नियंत्रण नहीं रह जाता है।
इसके लक्षण हैं:
- तेज़ गति से ह्रदय का धड़कना
- पसीना आना और हाथ-पांव ठंडे पड़ जाना
- दम घुटना
- सीने में भारीपन महसूस करना
- चक्कर आना, जी मिचलाना या पेट में तकलीफ होना
- डरना या घबराना
डराने वाले विचारों की वजह से एंग्जायटी अटैक शुरू होता है। यह हल्का या तीव्र हो सकता है।
यह अचानक होता है। इसलिए अगर आप पहले से इसके बारे में जान लेंगे तो आपके लिए इसका सामना करना आसान हो जायेगा। आप इसको शुरू होते ही रोक सकेंगे।
1. एंग्जायटी अटैक के लिए रेस्क्यू रेमेडी
रेस्क्यू रेमेडी, जैसा कि इसका नाम बताता है, इसके उपचार के लिए बहुत असरदार है।
इसमें कई फूलों की गंध मिली होती हैं। यह इमरजेंसी, नर्वस ब्रेकडाउन या शॉक की अवस्था में मदद करती हैं।
रेस्क्यू रेमेडी 5 बाख़ फूलों का मिश्रण है:
- चेरी प्लम
- क्लेमैटिस
- इम्पेशेंस
- रॉक रोज़
- स्टार ऑफ़ बेथलेहम
आप इसको किसी फार्मेसी या हर्बल दुकान से खरीद सकते हैं।
इसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि यह नुकसानदेह नहीं होती है। इसको अपने पास रखना अच्छा है।
जैसे ही आपको एंग्जायटी अटैक के लक्षण नज़र आयें एक ग्लास पानी में चार बूँदें रेस्क्यू रेमेडी की डालें और आराम से धीरे-धीरे पियें।
2. साँस पर नियंत्रण
एंग्जायटी अटैक के लक्षण बहुत जल्दी हावी होते है। इसलिए उस समय गहरी साँस लेना और अपनी साँस पर ध्यान केन्द्रित करना जरूरी है।
जब अटैक शुरू होने लगे आप बैठ जायें और शांति से गहरी साँस लें जिससे पहले आपका उदर फिर छाती भर जाये।
साँस के उतार-चढ़ाव पर अपना ध्यान केन्द्रित करने के लिए अपने हाथों को पेट पर रखें।
3. आँखों से ऊपर देखें
जब आप दुखी होते हैं तो आपकी ऑंखें नीचे की ओर देखती हैं। एंग्जायटी, दुःख और डिप्रेशन से बचने या निपटने के लिए आप ऊपर की ओर देख सकती हैं।
अपने सिर को उठाकर ऊपर न देखें बल्कि अपनी आँखों से ऊपर देखें। आप देखेंगे कि कुछ मिनटों में आपकी नेगेटिव भावनाएं गायब हो जायेंगी।
4. एसेंशियल ऑयल
एसेंशियल ऑयल्स में चिकित्सा संबंधी गुण मौजूद होते हैं। इसलिए हम स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं और बीमारियों से बचने के लिए उनका फायदा उठा सकते हैं।
एंग्जायटी अटैक का इलाज करने के लिए हमें ऐसे एसेंशियल ऑयल्स को चुनना चाहिए जिनमें रिलैक्स करने और संतुलन प्रदान करने के गुण हों।
हाँ, आपको जो पसंद हैं उनको भी आप चुन सकते हैं।
हम इन एसेंशियल ऑयल्स को इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं:
- लैवेंडर
- बेसिल
- बेर्गामोट
- साइप्रेस
- देवदार
- ऑरेगैनो
- ऑरेंज
- कैमोमिल
- एंजेलिका
आप एसेंशियल ऑयल्स को कमरे की परफ्यूम या इलेक्ट्रॉनिक डिफ्यूजर में इस्तेमाल कर सकते हैं।
5. पलकों पर ठंडा पानी डालें
एंग्जायटी अटैक से बचने के लिए अपनी आँखों को बंद करें। पलकों पर पानी की धार बहने दें। अगर आप चाहें तो उसे अपने चेहरे पर भी बहने दे सकते हैं।
इसे कोल्ड हाइड्रोथेरेपी कहते हैं। यह शरीर को रिलैक्स करने और अटैक को रोकने का एक बहुत ही आसान नेचुरल तरीका है।
6. मैग्नीशियम के पानी में स्नान करें
मैग्नीशियम एक खनिज पदार्थ है जिसके प्रभाव से नर्वस सिस्टम में संतुलन आता है। सामान्य रूप से उसका एक सप्लीमेंट के रूप में सेवन किया जाता है।
अगर आप चाहते हैं कि उसका जल्दी असर हो तो आप मैग्नीशियम सल्फेट या एप्सॉम सॉल्ट के साथ नहा सकते हैं।
अपने नहाने के टब के पानी में आधा प्याला एप्सॉम सॉल्ट डालें। इस पानी में कम से कम 20 मिनट रहें। नहाने के बाद आप फ्रेश और रिलैक्स हो जायेंगे।
7. जरूरत के अनुसार होमियोपैथी का उपचार
जैसा कि आप जानते हैं होमियोपैथी एक तरह की नेचुरल मेडिसिन है। इसका कोई नुकसान या साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है।
आपको किसी होमियोपैथी के डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अपने पास एंग्जायटी अटैक से बचने के लिए सही होमियोपैथी दवा रखें और जैसे ही अटैक शुरू हो उसे लें।
एंग्जायटी अटैक के उपचार के लिए कई प्रभावशाली तरीके हैं। लेकिन आपको पता करना पड़ेगा कि आपके स्वास्थ्य और निजी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कौन सा उपाय सबसे अच्छा है।
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