ओवेरियन कैंसर के बारे में 7 महत्वपूर्ण तथ्य जिन्हें आपका जानना ज़रूरी है
ओवेरियन/ डिम्बग्रंथि का कैंसर एक पुरानी और घातक बीमारी है। जब ओवरी यानी अंडाशय में कोशिकाओं/सेल्स की बढ़त इस अंग के नियंत्रण से बाहर हो जाए, तब महिलाओं को इस जानलेवा बीमारी का सामना करना पड़ता है।
हर साल, हजारों महिलाओं के ओवेरियन कैंसर से ग्रस्त होने के मामले सामने आते हैं। भले ही इस बीमारी का इलाज मौजूद है, लेकिन यह दुनिया में महिलाओं की मृत्यु होने का आठवां कारण बनती है।
महिलाओं के साथ-साथ चिकित्सकों की भी समस्या यही है, कि इस रोग के लक्षण का इसके शुरूआती चरणों में पता लग पाना बहुत मुश्किल होता है। इस वजह से, केवल कुछ ही महिलाओं को समय पर इलाज मिल पाता है।
इसके अलावा, केवल कुछ ही महिलाओं को इस रोग के विकसित होने और इसके खतरनाक फैक्टर्स/कारकों के सम्बन्ध में जानकारी दी जाती है। इस रोग को लेकर कम जानकार होना ज़्यादातर महिलाओं को अपनी चपेट में ले लेता है।
इसलिए हमने आज यहाँ इस रोग से सम्बन्ध रखते 7 महत्वपूर्ण तथ्यों की चर्चा करी है, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
1.ओवेरियन कैंसर के लक्षण
ओवेरियन कैंसर की डायग्नोसिस करना कठिन होता है क्योंकि शुरुआती दौर में इस बीमारी के स्पष्ट लक्षण सामने नहीं आते हैं।
लेकिन फ़िर भी, जिस समय ये बीमारी आपके शरीर में विकसित हो रही हों, उस वक्त कुछ ऐसे संकेत हैं जिनकी ओर आपको ध्यान देना चाहिए:
ये कुछ संकेत सबसे ज़्यादा ध्यान देने योग्य हैं:
- पेट की सूजन
- पेड़ू का दर्द (Pelvic pain)
- बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना
- असामान्य रक्तस्राव (Abnormal bleeding)
- थकान महसूस होना
- लगातार वजन कम होना
2. ओवेरियन कैंसर के ख़तरनाक कारण
ओवेरियन कैंसर के मुख्य कारण अनुवांशिकता सम्बंधित/हेरेडिटी (heredity) होते हैं।
इस बीमारी के सभी लक्षण, वंशाणु (gene) या जननिक (genetic) वजह की ओर इशारा करते हैं, जिसके चलते ओवरी/अंडाशय के सेल्स/कोशिकाओं में असामान्य बढ़त होनी शुरू हो जाती है।
हालांकि, हम सभी मामलों को अनुवांशिक वजहों से नहीं जोड़ सकते हैं। कुछ विशेष आदतें और बाहरी एजेंट भी इस बीमारी के होने का कारण बनते हैं।
इस बीमारी के होने का ख़तरा इन मामलों में भी बढ़ जाता है:
- 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएँ
- निषेचन दवाओं द्वारा इलाज (Treatments with fertilization drugs)
- हार्मोनल थेरेपी
- शराब और तंबाकू का ज़्यादा सेवन
- मोटापा
3. यह एक ऐसा कैंसर है जो किसी भी महिला को हो सकता है
यदि आप आज यहाँ चर्चित ओवरियन कैंसर होने के किसी भी ख़तरनाक कारण से किसी भी प्रकार जुड़ी हैं या संपर्क में हैं, तो आपको इस बीमारी के होने का ख़तरा है। लेकिन, सभी महिलाओं को अपने जीवन के किसी न किसी चरण में इस बीमारी के विकसित होने का ख़तरा बना रहता है।
मीनोपॉज के समय होने वाले हार्मोनल बदलाव इस बीमारी के जोख़िम को बढ़ाते हैं। लेकिन, अन्य कारणों से ये कम उम्र की महिलाओं को भी हो सकता है।
हर साल, 140,000 महिलाओं की इस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती हैं, और पूरी दुनिया में 250,000 नए मामले डायग्नोज़ होते हैं।
नियमित मेडिकल जांच और स्वस्थ्य आदतों का पालन करने से इस बीमारी के बारे में समय से पता लगाया जा सकता है।
4. “शरीर के भीतर छिपा हुआ दुश्मन”
जिस तरह से यह शरीर में विकसित होता है, उसके कारण ओवेरियन कैंसर को “साइलेंट किलर” कहा जाता है।
ये दुर्भाग्य की बात है कि ट्यूमर के शुरूआती चरण में महिलाओं को सचेत करने के लिए बहुत कम संकेत मिल पाते हैं। स्पष्ट संकेत न मिल पाने के कारण यह बीमारी साफ़ रूप से उभर कर सामने नहीं आ पाती है।
कई ऐसे मामलें सामने आए हैं जहाँ जब तक इस बीमारी के बारे में पता चलता है, तब तक कैंसर सेल्स शरीर के बाकी हिस्से में फैल चुके होते हैं।
5. इस घातक बीमारी में महिलाओं के बचाव के दर में तबदीली देखने को मिलती है
देखा गया है, कि ओवरियन कैंसर के शुरूआती डायग्नोसिस के बाद छियालीस प्रतिशत महिलाएँ कम से कम 5 साल तक जीवित रहती हैं।
लेकिन, महिलाओं के बचाव दर का आंकलन करने के लिए ट्यूमर के विकास के स्तर और महिलाओं की उम्र को ध्यान में रखना ज़रूरी है।
6. समय चलते बीमारी का सामने आना सही इलाज पाने में सहायक होता है
बीमारी का सही समय पर पता लगने से रोगी को सही और प्रभावी इलाज मिल पाता है। इस तरह से उसे इलाज की प्रक्रिया के दौरान कम नुकसान पहुँचता है।
शुरुआती दौर में सफ़ल डायग्नोसिस हो जाने से महिलाओं के बीमारी पर काबू पाने की संभावना 90% तक होती है।
इसलिए ये बेहद ज़रूरी है, कि सभी संभव लक्षणों को ध्यान में रखते हुए, एक डॉक्टर या स्त्री रोग विशेषज्ञ से समय चलते सलाह ली जाए।
7. पैप स्मीयर टेस्ट से ओवेरियन कैंसर का पता नहीं लगाया जा सकता है
ज़्यादातर महिलाएँ इस बात को मानने की गलती करती हैं कि वे पैप स्मीयर टेस्ट के माध्यम से ओवेरियन कैंसर के बारे में पता लगा सकती हैं। भले ही इस टेस्ट को कराने की सलाह दी जाती है, लेकिन इस टेस्ट के ज़रिए महिलों की प्रजनन प्रणाली (reproductive system) में असामान्यता ढूँढ पाना मुश्किल है।
पैप स्मीयर टेस्ट से (Pap Smear Test) गर्भाशय/सर्विक्स में कैंसर के कारण होने वाले बदलावों के बारे में पता किया जा सकता है। इसे ओवेरियन कैंसर के डायग्नोसिस के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
इसके बारे में पता लगाने के लिए पेल्विक परीक्षण और खून की जांच कराई जानी ज़रूरी है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि हम सभी महिलाएँ हमेशा इस कैंसर के खतरे के दायरे में रहती हैं, इससे जुड़ी हर जानकारी पर ध्यान देना और किसी भी संदेह के होने पर जल्द से जल्द अपनी मेडिकल जांच कराना एक अच्छा विचार है।
याद रखें, समय चलते ओवेरियन कैंसर का सही निदान आपको जीवन का वरदान दे सकता है।
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