डिप्रेशन के बारे में 5 ऐसी बातें जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी
आजकल डिप्रेशन सबसे आम मानसिक बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार लगभग 35 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं और आने वाले वर्षों में यह संख्या बढ़ने की संभावना है।
सबसे बड़ी बात तो यह यह है कि यह रोग बड़ी संख्या में बच्चों और जवानों को प्रभावित करता है ।
डिप्रेशन हर साल बड़ी संख्या में होने वाली आत्महत्याओं का कारण है, लेकिन आमतौर पर मीडिया इस बात की अनदेखी कर देती है।
दरअसल हम बात कर रहें हैं एक “अदृश्य” बीमारी के बारे में। ऐसा ही फाइब्रोमाल्जिया, ल्यूपस और बाईपोलर गड़बड़ी में भी होता है।
बीमारियों का लक्षण पहचानना आसान काम नहीं होता है। अवसाद एक ऐसा घाव पैदा करता है जिसे लोग आमतौर पर समझ ही नहीं पाते हैं।
पेशेवर डॉक्टरों के लिए इन बीमारियों को पहचानना और इलाज करना कठिन होता है। बड़े और अनुभवी डॉक्टरों के पास समय कम होता है जिससे वे भी इसे ठीक से समझ नहीं पाते हैं।
प्राकृतिक उपचार भी हर बार काम नहीं करता। इसलिए इसका इलाज साइकोथेरेपी ही है। समाज और प्रतिष्ठानों को इन चीजों के प्रति और अधिक जागरूक होना पड़ेगा।
आज हमारी साइट पर, हम इस बीमारी से जुडी कुछ ऐसी चीजों पर बात करना चाहते हैं जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
1. डिप्रेशन का कोई तुरंत इलाज नहीं है
डिप्रेशन से उबरने या ठीक होने में लगने वाला समय इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है।
सच बात तो यह है कि अक्सर आसपास वाले लोग उल्टी-सीधी सलाह देकर पीड़ित व्यक्ति पर अतिरिक्त दबाव डाल देते हैं, जैसे “पॉजिटिव बनो” या “यह कोई बड़ी बात नहीं है, किसी दूसरे नजरिये से चीजों को देखो।”
डिप्रेशन पर काबू पाने के लिए एक बहुत ही कोमल आंतरिक पुननिर्माण की आवश्यकता होती है। दवाओं के अलावा, आदमी को उसकी सोच और भावनाओं पर नियंत्रण पाने की कला सीखनी पड़ती है।
हो सकता है तीन महीने के औषधीय उपचार के बाद व्यक्ति को सुधार का अनुभव होगा। फिर भी कुछ छोटे-मोटे लक्षण जैसे थकान या अनिद्रा रह सकते हैं।
ये चीजें, किसी भी समय, रोग को फिर से सक्रिय कर सकती हैं।
डिप्रेशन से उबरने के लिए समय, समर्थन, धैर्य और साहस की जरूरत होती है।
2. डिप्रेशन अक्सर चिंता के रूप में दिखाई देता है
कई बार बहुत से लोगों में डिप्रेशन की पहचान करने में काफी समय लग जाता है क्योंकि यह दूसरे रोगों के साथ मिलकर भ्रम पैदा कर सकता है।
डिप्रेशन कई प्रकार के होते हैं जो आसानी से पहचानने नहीं जाते।
- डिप्रेशन के 65% मरीज अक्सर बहुत ज्यादा चिंता में डूबे रहते हैं।
- अक्सर यह ख़राब मूड, उदासीनता, लगातार चिड़चिड़ापन और कोई भी आनंद लेने में असमर्थता के रूप में प्रकट होता है।
सही इलाज के लिए किसी प्रोफेशनल डॉक्टर से सलाह लें।
3. डिप्रेशन का कारण उदासी नहीं है
आमतौर पर डिप्रेशन का सीधा सम्बन्ध उदासी से है। फिर भी, कई बार यह कई अलग-अलग तथ्यों से बनी “बड़ी गेंद” की तरह होता है, बहुत सारी छोटी-छोटी चीजें जो एक बड़ी मुसीबत पैदा करती हैं।
असहाय भाव, निराशा, नाराजगी, क्रोध, चिंता और डर आदमी को उसके अपने ही अंदर एक जेल में बंद करके सजा देते हैं।
हम इसमें जेनेटिक्स ( आनुवंशिकी) की भूमिका को भी नहीं नजरंदाज नहीं कर सकते क्योंकि इस पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति को डिप्रेशन हो सकता है या नहीं।
मौसमी अवसाद बीमारी का एक और रूप है और यह सूर्य के प्रकाश की कमी और अकेलेपन के कारण होता है। इसके बारे में जागरूक होना भी जरूरी है।
पारिस्थिति और भावनात्मक से लेकर बायोकेमिकल, डिप्रेशन के कई स्रोत हैं।
4. इस बीमारी को कोई भी पसंद नहीं करता
डिप्रेशन होने का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति कमजोर, चरित्रहीन या डरपोक है। सच बात तो यह है कि, किसी को भी अपने जीवन के किसी भी बिंदु पर ऐसी दिमागी समस्या हो सकती।
कई बार अवसाद एक रासायनिक असंतुलन की वजह से भी होता है जिससे दिमाग नियंत्रित नहीं पाता।
5. डिप्रेशन सोचने की क्षमता ख़त्म कर देता है
डिप्रेशन आदमी को हर तरह से घेरता है। यह ऊर्जा, प्रेरणा और यहां तक कि उसके आत्म नियंत्रण को भी ख़त्म कर देता है।
अवसाद वाले लोग अपनी साफ़-सफाई और स्वास्थ्य, यहां तक कि खाने-पीने का ख्याल रखना भी छोड़ देते हैं। यह आपसे ऐसी चीजें करवाता है जो आपकी इच्छा के विपरीत है।
ख़राब मूड, चिड़चिड़ाहट, घर से बाहर न निकलना ऐसी कई चीजें अवसाद से पीड़ित लोगों के परिवार को झेलनी होती हैं।
डिप्रेशन के शिकार लोगों को उनके आसपास के लोगों से समझ, विनम्रता, धैर्य और प्यार की आवश्यकता होती है।
देर-सवेरे अवसाद के काले बादल जरूर छंट जायेंगे। साहस, परिवार और अच्छे डॉक्टरों का साथ मिलना डिप्रेशन पर काबू पाने के लिए सबसे जरूरी है।
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