डायबिटीज के 5 कम ज्ञात लक्षण
डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो तब होती है जब रक्त में शर्करा यानी ग्लूकोज का स्तर इतना अधिक बढ़ जाता है कि यह कुछ मामलों में किडनी, आँखें और नर्व को नुकसान पहुंचा सकता है।
यह ज़रूरी नहीं है कि इससे पीड़ित हर व्यक्ति में डायबिटीज के सामान्य लक्षण जैसे खूब प्यास लगना, हाथ या पैरों का सुन्न होना, अकारण वजन घटना और बार-बार पेशाब आना मौजूद हों।
यहाँ हम डायबिटीज के कुछ कम ज्ञात लक्षणों के बारे में बात करना चाहते हैं। अगर आपमें इनमें से एक या अधिक लक्षण मौजूद हैं, तो सजग हो जाना चाहिए और तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
डायबिटीज से हो सकती है त्वचा में जलन
मधुमेह के कम ज्ञात लक्षणों में से एक माना जाने वाला यह संकेत तब प्रकट होता है जब रक्त में ग्लूकोज लेवल अपने स्वस्थ मान से ऊपर चला जाता है। इससे स्किन में शुष्कता आ जाती है और खुजली होने लगती है।
यह खुजली हाथों , बाजुओं , टागों और पैरों में हो सकती है। इसलिए यदि आपकी त्वचा में जलन या खुजली हो रही है, तो सुनिश्चित करें कि कहीं यह रूखे मौसम के कारण तो नहीं है। यदि ऐसा नहीं है, तो अपने ब्लड शुगर लेवल की जाँच कराएं।
डायबिटीज आपके रक्त परिसंचरण यानी ब्लड सर्कुलेशन पर असर डालती है, इसलिए सर्कुलेशन के सबसे दूर वाले अंग वे स्थान हैं जहां आम तौर पर त्वचा में जलन महसूस होगी।
डायबिटीज रूसी या सूखी खोपड़ी का कारण
बहुत से लोग कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि यह मधुमेह का लक्षण हो सकता है। जब आपके खून में अतिरिक्त शुगर होता है, तो आपका शरीर आमतौर पर मूत्र के साथ इसे बाहर निकालने की कोशिश करता है।
हालांकि, शरीर से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ के बाहर निकलने से कुछ अंग डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण की चपेट में आ जाते हैं। इससे खोपड़ी पर स्केल का निर्माण होता है, जो असुविधाजनक लगते हैं और खुजलाहट पैदा करते हैं।
यह सीब्रोरहाइक डर्मेटाइटिस भी पैदा कर सकता है, जिसे आमतौर पर रूसी के नाम से जाना जाता है। चूंकि त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग है, इसलिए रूसी पूरी खोपड़ी में फैल सकती है।
इसके अलावा, इस क्षेत्र में सूजन, पितिरोस्पोरम फंगस की ग्रोथ के लिए सही परिस्थितियां प्रदान करती है जिससे रूसी पैदा होती है।
ये सूक्ष्मजीव खोपड़ी के तेल का भक्षण करते हैं और कुछ दिनों में ही तेजी से फैल सकते हैं। नतीज़ा आपके जाने-पहचाने सफेद फ्लेक्स होते हैं।
खर्राटे
यह लक्षण आपको थोड़ा हैरान कर सकता है। दरअसल नींद के दौरान श्वास संबंधी समस्याएं आपके खून में शुगर लेवल को बढ़ा सकती हैं। इस स्थिति को स्लीप एप्निया के रूप में जाना जाता है।
हालांकि यह कष्टप्रद हो सकता है, इस लक्षण को उभरने से पहले ही रोकना सबसे अच्छा होता है। क्योंकि नींद के दौरान यह आपके शरीर को स्ट्रेस हॉर्मोन पैदा करने के लिए मजबूर कर सकता है। इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
डायबिटीज को शुरुआत में ही रोकना और इसका इलाज कराना जरूरी है।
खर्राटों से कई बीमारियां जुड़ी होती हैं जिनके बार में आपको लग सकता है कि डायबिटीज से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
हालांकि, मधुमेह के विकास के लिए यह एक प्रमुख कारक हो सकता है। क्योंकि यह सामान्य ब्रीदिंग में रुकावट के कारण होता है जो वायुमार्ग को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों के रिलैक्स होने से होती है।
खर्राटों की वजह से फेफड़ों में ऑक्सीजन के घुसने में मुश्किल होती है। यह ग्लूकोज मेटाबोलिज्म में रुकावट पैदा करता है।
सुनने में समस्याएं
क्या आपको मालूम है कि श्रवण शक्ति का खोना डायबिटीज का संकेत हो सकता है?
अगर आपको लगे कि टीवी पर वॉल्यूम को पहले के मुकाबले ज्यादा तेज करना पड़ रहा है या लोगों से बोली हुई चीजों को दोहराने के लिए कहना पड़ रहा है, तो अपने डॉक्टर को बताएं।
कई अहम स्टडी के नतीजों से पता चला है कि श्रवण शक्ति का खोना डायबिटीज की शुरुआत का संकेत हो सकता है।
हाई ब्लड शुगर वाले लोगों में स्वस्थ ग्लूकोज स्तर वाले लोगों के मुकाबले सुनने में समस्याएं आ सकती हैं।
इसके पीछे यह तथ्य है कि वास्तव में उच्च ग्लूकोज लेवल भीतरी कान की नसों और रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचाता है। इससे उनके काम पर असर पड़ता है।
नज़र में परिवर्तन
डायबिटीज से शरीर के तरल पदार्थ में बदलाव आता है और यह आपकी नज़र पर असर डाल सकता है। यह बहुत ही सामान्य लक्षण है। इसलिए कुछ मरीजों को बीमारी का पता लगने से पहले बेहतर दिखना देखना शुरू हो सकता है।
आपको अचानक अपने चश्मे की ज़रूरत पड़नी बंद हो जायेगी। उसके बिना ही आपको अच्छी तरह से दिखना शुरू हो जाएगा। जब ऐसा हो, तो सुधार स्थायी नहीं होता है। एक बार ग्लूकोज का लेवल स्थिर होते ही रोगी को फिर लेंस पहनने की जरूरत होती है।
लेकिन परेशान मत होइए, यह डायबिटीज रेटिनोपैथी नहीं है। मधुमेह की रेटिनोपैथी में तो आंख के पीछे की रक्त वाहिकाएं अवरुद्ध हो जाती हैं।
मधुमेह के शुरुआती दौर में आँखें फोकस कर पाने में असमर्थ हो जाती हैं क्योंकि ग्लूकोज का स्तर बढ़ा हुआ रहता है।
इससे आंखों के आकार में परिवर्तन हो सकता है। फिर भी इसका मतलब यह नहीं है कि डायबिटीज में आप अपनी नजरें खो देंगे।
इन लक्षणों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है क्योंकि ये आम तौर पर अन्य बीमारियों से जुड़े होते हैं।
यदि अपने शरीर में इन बदलावों में से कोई भी बदलाव अकेले या ज्यादा आम लक्षणों के साथ दिखे, तो सही निदान और ट्रीटमेंट के लिए स्पेशलिस्ट को जरूर दिखाएँ।
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