एंटीमाइक्रोबियल क्या हैं?
एंटीमाइक्रोबियल ऐसी दवाएं हैं जिनमें कई माइक्रोऑर्गनिज़म की ग्रोथ को रोकने की क्षमता हो। आमतौर पर कोई एंटीमाइक्रोबियल कुछ माइक्रोब पर असरदार होगा। इस तरह अलग-अलग एंटीमाइक्रोबियल बैक्टीरिया, फंगस या पैरासाइट से लड़ते हैं।
इस लेख में हम कई किस्म के एंटीमाइक्रोबियल (antimicrobial), उनके उपयोग और उनकी मुख्य विशेषताओं पर नज़र डालेंगे।
एंटीमाइक्रोबियल टाइप
कुल मिलाकर इन दवाओं को दो पहलुओं के आधार पर क्लासिफ़ाई किया जा सकता है:
- सबसे पहले, उनके कामकाज की प्रक्रिया।
- दूसरा, सूक्ष्मजीव का प्रकार।
कामकाज के अनुसार एंटीमाइक्रोबियल का वर्गीकरण
इस क्लासिफिकेशन के अनुसार हम निम्नलिखित एंटीमाइक्रोबियल को अलग कर सकते हैं:
- स्टेरलाइज़र।
- कीटाणुनाशक।
- एंटीसेप्टिक्स या केमोथेरेप्यूटिक्स।
आइए इन पर एक नज़र डालें।
स्टेरलाइज़र
स्टेरलाइज़र किसी भी किस्म के माइक्रोऑर्गनिज्म को मारने में सक्षम हैं। दो सबसे प्रसिद्ध स्टेरलाइज़र ग्लूटेराल्डिहाइड (glutaraldehyde) और एथिलीन ऑक्साइड (ethylene oxide) हैं।
इसके अलावा हीट, फिल्ट्रेशन और आयोनाइजिंग रेडिएशन जैसे भौतिक तरीके भी इस मामले में उपयोग किए जाते हैं।
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कीटाणुनाशक
डॉक्टर निष्क्रिय पदार्थों पर सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए माइक्रोऑर्गनिज्म का इस्तेमाल करते हैं। यह जीवित कोशिकाओं पर उनके टॉक्सिक असर के कारण होता है। कुल मिलाकर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले कीटाणुनाशक अल्कोहल और आयोडीन कम्पाउंड हैं जैसे कि बीटाडाइन (Betadine)।
स्टेरलाइजेशन से होने वाले कीटाणुनाश को अलग करना अहम है। स्टरलाइज़र के विपरीत कीटाणुनाशक माइक्रोऑर्गनिज्म को पूरी तरह से मारने में सक्षम नहीं हैं।
एंटीसेप्टिक्स और केमोथेरेप्यूटिक्स (Antiseptics and chemotherapeutics)
इन दोनों का समान उपयोग है। हालांकि उनके बीच एक फर्क है कि माइक्रोऑर्गनिज्म के विकास को रोकने के लिए एंटीसेप्टिक्स सीधे टिशू पर लगाए जाते हैं। दूसरी ओर वे इंट्रावीनस कीमोथेरेप्यूटिक्स का काम करते हैं।
सूक्ष्मजीव की किस्म के अनुसार एंटीमाइक्रोबियल का क्लासिफिकेशन
नीचे हम इन सूक्ष्मजीवों के अनुसार एंटी-माइक्रोबियल को क्लासिफ़ाई करेंगे।
एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
एंटीबायोटिक शब्द एक केमिकल के लिए इस्तेमाल होता है जो कुछ तरह के संवेदनशील सूक्ष्मजीवों को मारता है या रोकता है।
जैसा कि उनके नाम से पता चलता है, डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बैक्टीरिया को मारने के लिए करते हैं। इन दवाओं का उपयोग पशु चिकित्सा और मानव चिकित्सा दोनों में किया जाता है। इसके अलावा वे एंटीपैरासाइटिक और दूसरे एंटीमाइक्रोबियल के माध्यम से करते हैं। कुल मिलाकर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज का लक्ष्य सूक्ष्मजीव को मारना है।
अंत में इसका जिक्र करना अहम है कि एंटीबायोटिक दवाओं से खुद ही अपना इलाज करना एक गंभीर पब्लिक हेल्थ हैजर्ड है। इसका कारण यह है कि बैक्टीरिया कई एंटीबायोटिक दवाओं के लिए इम्युनिटी विकसित करने में सक्षम हैं। इस तरह शुरू में असरदार होने वाला यह ट्रीटमेंट बेअसर हो जाता है।
एंटीफंगल
इन्हें एंटीमाइकोटिक्स (antimycotics) भी कहा जाता है। कुल मिलाकर ये ऐसे पदार्थ हैं जो कुछ फंगस को मारते हैं।
एंटीबायोटिक्स की तरह कई लोग इन दवाओं का इस्तेमाल सेल्फ मेडिकेशन में करते हैं और इनका दुरुपयोग करते हैं। दुर्भाग्य से यह आम दवाओं के खिलाफ बैक्टीरिया में प्रतिरोधी गन विकसित करने का कारण बनता है।
यहाँ कुछ प्रसिद्ध एंटीफंगल दिए गए हैं:
- इट्राकोनाजोल (itraconazole)
- पोजेकोनाजोल (Posaconazole)
- फ्लुकोनाज़ोल (Fluconazole)
- वोरीकोनाजोल (voriconazole)
- केस्पोफन्जीन (Caspofungin)
परजीवीरोधी (Antiparasitics)
इन एंटी माइक्रोबियल का इस्तेमाल पशु चिकित्सा और मानव चिकित्सा दोनों में किया जाता है। वे बैक्टीरिया और पैरासाइट से होने वाले संक्रमण से लड़ते हैं। साथ ही कुछ तरह के कैंसर के इलाज में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।
कुल मिलाकर सबसे प्रसिद्ध एंटीपैरासिटिक्स एंटीथेमिंटिक्स (anthelmintics) और एंटीप्रोटोज़ोल्स (antiprotozoals) हैं, जैसे:
- एल्बेनडाज़ोल (Albendazole)
- मेबेनडाज़ोल (Mebendazole)
- ट्राईमेथोप्राइम (trimethoprim)
- पैरोमोमाइसीन (Paromomycin)
- मेट्रोनिडाज़ोल (metronidazole)
- आइवरमेक्टिन (Ivermectin)
आज वैज्ञानिक कम नकारात्मक असर वाले दूसरे एंटीपैरासिटिक दवाओं की खोज में जुटे हैं और जो मौजूदा कमर्शियल दवाओं जैसा पैरासाइटिक रेजिस्टेंस विकसित न होने दें।
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एंटीवाइरल (Antivirals)
डॉक्टर वायरल संक्रमण के इलाज के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। दुर्भाग्य से वे इस बीमारी को ठीक करने में सक्षम नहीं हैं। हालांकि वे लक्षणों को कम जरूर कर सकते हैं।
इस तरह वे लक्षणों की गंभीरता और जटिलताओं की संभावना को कम कर पाते हैं। कुल मिलाकर हर तरह के वायरस के लिए एंटीवायरल मौजूद हैं। हालांकि डॉक्टरों की सिफारिश पर ही उन्हें लिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
एंटीमाइक्रोबियल रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों की बढ़त को रोकने या उन्हें मारने में सक्षम हैं। डॉक्टर विशेष संक्रमण और उसकी स्थिति के आधार पर उनका उपयोग करते हैं।
माइक्रोबियल ड्रग्स (एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीपैरासिटिक्स और एंटीवायरल) बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं मिलते हैं। इसलिए इन दवाओं के साथ खुद अपना इलाज आपके शरीर में माइक्रोबियल रेजिस्टेंस विकसित कर सकता है। यह किसी इलाज का असर घटा सकता है।
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