आर्थराइटिस का इलाज करने का नया तरीका

आर्थराइटिस का इलाज करने का नया तरीका

आखिरी अपडेट: 19 नवंबर, 2018

आमतौर पर हड्डियों की सूजन के लिए बढ़ती उम्र को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन आर्थराइटिस कभी भी, किसी को भी हो सकता है

इसीलिए स्थायी दर्द और स्केलेटन सिस्टम का बिगड़ जाने जैसे लक्षण आपके आर्थराइटिस की चपेट में आते ही आपपर अपना असर दिखाना शुरू कर सकते हैं, फिर भले ही आपकी उम्र 20 साल की ही क्यों न हो।

आसान शब्दों में कहें तो यह बीमारी सिर्फ़ बुज़ुर्ग लोगों की ही दुश्मन नहीं होती। यह उम्र के नाम पर कोई भेदभाव जो नहीं करती।

इस रोग की चपेट में आ जाने पर आपकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी मुश्किल हो जाती है क्योंकि इससे होने वाला दर्द बर्दाश्त से बाहर होता है।

बहुत गंभीर मामलों में तो मरीज़ चिंता और तनाव के शिकार भी हो जाते हैं।

इसके पीछे कारण यह होता है कि आर्थराइटिस से पैदा होने वाली शारीरिक परेशानियों के अलावा बहुत ही कम लोगों को इस बीमारी की समझ होती है

इसीलिए इससे पीड़ित लोगों का अकेलापन उन्हें दुःख की राह पर ले जाता है।

अपनी बीमारी को लाइलाज पाकर उनकी मानसिक अवस्था बद से बदतर होती जाती है

अभी तक वैज्ञानिक कोई ठोस समाधान तो नहीं ढूँढ सके हैं, लेकिन उन्होंने इस बीमारी का एक नया इलाज ज़रूर खोज निकाला है। इस तरीके से सूजन कम हो जाती है व रोगियों को अपनी ज़िन्दगी में उम्मीद की एक नयी किरण दिखाई देने लगती है।

इस अध्ययन को साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन  नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।

क्वीन मैरी विश्वविद्यालय ने आर्थराइटिस का इलाज करने के नये तरीके की तारीफ़ों के पुल बांधे हैं

आर्थराइटिस के इलाज का नया तरीका

आमतौर पर किसी बीमारी का पता लगने पर डॉक्टर दवाई दे देते हैं। वहीँ दूसरी तरफ़, वैकल्पिक उपचार के साथ-साथ डॉक्टर सप्लीमेंट दवायें भी दे देते हैं

होमियोपैथी, मैडिटेशन, ठंडा या गर्म लेप, एक्यूपंक्चर और मालिश सबसे लोकप्रिय इलाज हैं। ये सभी दर्द को कम करने में मददगार तो होते ही हैं, कुछेक मामलों में ये उसे पूरी तरह से गायब भी कर देते हैं।

लंदन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने आर्थराइटिस का इलाज करने की इस नयी पद्धति की तरफ एक कदम आगे बढ़ाया है।

इस अध्ययन के प्रकाशित हो जाने तक समस्या की जड़ वाली उपास्थि (कार्टिलेज) तक पहुंचना नामुमकिन-सा था। पर अब शोधकर्ताओं के इस समूह ने वैज्ञानिकों की राह आसान कर दी है।

कोशिकाओं के बीच घूमने वाले “एक्सोज़ोम्स” की बदौलत वे कार्टिलेज तक जा पहुंचे हैं। एक्सोज़ोम नामक ये कमाल की “गाड़ियाँ” बेहद छोटी-छोटी उप-कोशिकीय संरचानायें होती हैं।

कार्टिलेज की मदद से आर्थराइटिस का इलाज

तरल पदार्थ से भरी इन्हीं संरचनाओं से कोशिकाओं के पर्दे (मेम्ब्रेन) का एक हिस्सा बना होता है। सबसे कमाल की बात तो यह है कि आमतौर पर ये आर्थराइटिस के मरीज़ों के सूजे जोड़ों में जमा ल्यूकोसाइट्स में मौजूद होती हैं।

इस नज़रिये से देखें तो हमारी सफ़ेद रक्त कोशिकायें इन संरचनाओं समेत 300 प्रोटीनों को हमारी कार्टिलेज तक लाकर उसकी रक्षा करती हैं

आर्थराइटिस का इलाज करने वाली इस नयी पद्धति में अभी भी सुधार की गुंजाइश है

आर्थराइटिस की नयी इलाज पद्धति

इस नये इलाज को सफलतापूर्वक चूहों पर आज़माकर देखा गया था। बस फिर क्या था, लंदन वाली उस टीम ने इस बात कि पुष्टि कर दी कि इस इलाज पद्धति ने कई नयी संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।

अगला कदम एक्सोज़ोम में ओमेगा 3 जैसे तत्वों को मिलाकर उसके असर को बेहतर बनाना होगा।

आर्थराइटिस रिसर्च यूनाइटेड किंगडम के डायरेक्टर व इस अध्ययन के सह-लेखक स्टीफन सिंपसन के मुताबिक़ इस नयी खोज की मदद से हम एक ऐसा बेमिसाल कारगर इलाज तैयार कर सकेंगे, जिससे लाखों लोगों की ज़िन्दगी में सुधार आ जाएगा।

इस खोज की एक और खासियत यह है कि यह लगाने में बहुत आसान होगी। ट्रांसफ्यूज़न-प्रक्रिया को पूरा करने के लिए रोगियों को अस्पताल में मुश्किल से एक ही दिन बिताना पड़ेगा।

फिर अपने घर लौटकर वे एक सामान्य जीवन जी सकेंगे। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि उनके शरीर में डाला गया तत्व उनकी हड्डियों को पहले जैसा स्वस्थ बना देगा।

वैज्ञानिक किसी ऐसी रणनीति पर काम रहे हैं, जो लगातार उठने वाले दर्द को जड़ से ख़त्म कर डालने के साथ-साथ मरीज़ की हड्डियों की भी मरम्मत कर दे

हम एक नये और उपचारात्मक समाधान की राह पर ले जाने वाली खोज की दहलीज़ पर खड़े हैं।

इसके लिए उन्हें एक बेहद ज़रूरी कड़ी को जोड़ना होगा: अभी उन्होंने इसे इंसानों पर आज़माकर नहीं देखा है। हाँ, उन्हें यह उम्मीद ज़रूर है कि इसके नतीजे उतने ही सकारात्मक होंगे, जितने लैब वाले चूहों पर किए गए परीक्षणों के थे।

आर्थराइटिस का नया इलाज

अगर उनका परिक्षण उनकी उम्मीदों पर खरा उतरता है तो लाखों लोगों की ज़िन्दगी पर असर डालने वाली इस बीमारी से छुटकारा पाने के हम बेहद करीब पहुँच जाएंगे

यह अध्ययन चिकित्सा के क्षेत्र में हमारी खोज और तरक्की को दर्शाता है।

यह खोज बीमार लोगों के लिए तो अच्छी है ही, यह स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए अरबों की बचत का सबब भी बन सकती है। आख़िर इसकी मदद से हमारे लिए दर्द पर धावा बोलकर उसे ख़त्म कर देना बहुत आसान जो हो जाएगा।




यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।