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डॉक्टर रैसजेलाइन क्यों लिखते हैं?
पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए डॉक्टरों ने रैसजेलाइन की दवा निर्धारित की है। इसका उपयोग लेवोडोपा के साथ सहायक थेरेपी में किया जा सकता है। इस आर्टिकल जानें, इसे कैसे लिया जाता है और इससे जुड़ी सावधानियाँ क्या हैं।

पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए डॉक्टर रैसजेलाइन को लिखते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल लेवोडोपा (Levodopa) के साथ सहायक थेरेपी में किया जा सकता है, यह डोपामाइन की अग्रदूत है जो पार्किंसंस रोग के लिए पहले पसंदीदा ट्रीटमेंट हुआ करता था। हालांकि डॉक्टर इसे स्वतंत्र रूप से लेवोडोपा के बिना भी लिखते हैं।
पार्किंसंस रोग एक तरह की चाल-ढाल और गति से जुड़ी समस्या है जो तब होती है जब न्यूरॉन्स उस केमिकल का पर्याप्त उत्पादन नहीं करते हैं जो मस्तिष्क के लिए बेहद अहम है, जिसे डोपामाइन के रूप में जाना जाता है। नीचे हम बताएंगे कि रैसजेलाइन कैसे मदद कर सकता है।
रैसजेलाइन कैसे काम करता है
यह दवा MAO-B का एक सेलेक्टिव अवरोध करती है। MAO-B का अवरोध डोपामाइन की न्यूरॉन के बाहर क्षय से बचाती है। इसलिए यह मस्तिष्क में इसकी मात्रा को बढ़ाता है। शुरू में डॉक्टरों ने इसे लेवोडोपा के साथ तय किया था। आजकल वे डोज के आखिर में मोटर उतार-चढ़ाव वाले रोगियों के मामलों में इन दोनों को इकट्ठे देते हैं।
यह दवा MAO-B का एक सेलेक्टिव अवरोध करती है। इसलिए यह डोपामाइन को क्षरण रोकती है।
डॉक्टर रैसजेलाइन कैसे लिखते हैं: डोज
कुल मिलाकर इसकी डोज मुंह से ली जाती है, हर 24 घंटे में 1 मिलीग्राम की डोज, अकेले या लेवोडोपा के साथ मिलाकर। रोगी इसे भोजन के साथ या उसके बिना भी ले सकता है। डॉक्टरों को बुजुर्ग रोगियों में डोज को बदलने की ज़रूरत नहीं होती।
एक्सपर्ट नाबालिगों को रैसजेलाइन लेने की सलाह नहीं देते। क्योंकि बच्चों और किशोरों में इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता को लेकर पर्याप्त डेटा नहीं है।
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रैसजेलाइन के निषेध
डॉक्टरों को निम्नलिखित परिस्थितियों में रैसजेलाइन (Rasagiline) को नहीं लिखना चाहिए:
- सबसे पहले अगर इसमें मौजूद एक्टिव तत्वों या दूसरी चीजों के प्रति अतिसंवेदनशीलता है।
- तब भी अगर रोगी को पहले से ही मोनोअमीन ऑक्सीडेज (monoamine oxidase – MA-O) का इलाज करा रहा है। भले ही मरीज दवाइयों और नेचुरल प्रोडक्ट को मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के तहत नहीं ले रहा है, उदाहरण के लिए सेंट जॉन वोर्ट। मरीज को एमएओ इनहिबिटर (MAO inhibitors) या पेथिडीन (pethidine) से इलाज शुरू करने से 14 दिन पहले रैसजेलाइन का इस्तेमाल बंद करना होता है।
- एक्यूट क्रोनिक लीवर फेल्योर वाले रोगियों में। इसके अलावा, हल्के लीवर फेल्योर वाले रोगियों को रैसजेलाइन से इलाज शुरू करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। हालांकि, अगर जिगर की विफलता हल्के से तीव्र की ओर बढ़ती है, तो उन्हें ट्रीटमेंट बंद कर देना चाहिए।
दूसरी दवाओं के साथ विरोध
जैसा कि हमने ऊपर बताया है, रैसजेलाइन को दूसरे एमएओ अवरोधकों या एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के साथ लेना वर्जित है। इसमें शामिल है:
- नेचुरल एंटीडिप्रेसेंट दवायें, जैसे सेंट जॉन पौधा
- SSRI – सेलेक्टिव सेरोटोनिन रेपुटेक इन्हिबिटर (selective serotonin reuptake inhibitors)
- SNRI -सेरोटोनिन-नॉरेपिनेफ्रिन रेपुटेक इन्हिबिटर
- ट्राइसाइक्लिक और टेट्रासाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट
इसके अलावा, विशेषज्ञ इसे सिम्पैथोमाइमैटिक ड्रग्स के साथ लेने की सलाह नहीं देते हैं, जैसे कि नाक और मुंह से लिए जाने वाले डिकन्जेस्तेंट या सर्दी लगने की स्थित्ति में दी जाने वाली दवायें जिनमें एफेड्रिन (ephedrine) या स्यूडोएफ़ेड्रिन (pseudoephedrine) होता है।
इस मामले में एंजाइम साइटोक्रोम P450 (CYP450) अधिकांश दवाओं के मेटाबोलिज्म में अहम भूमिका निभाता है।
दरअसल इन विट्रो मेटाबोलिज्म के अध्ययन से संकेत मिलता है कि साइटोक्रोम P450 1A2 (CYP1A2) का आइसोजाइम रैसजेलाइन के मेटाबोलिज्म के लिए जिम्मेदार मुख्य एंजाइम है। इसलिए रैसजेलाइन और CYP1A2 अवरोधक सिप्रोफ्लोक्सासिन के इकट्ठे लेने प्लाज्मा में रैसजेलाइन की मात्रा पर असर पड़ सकता है। इस प्रकार रोगियों को इसे सावधानी से लेना चाहिए।
जो मरीज धूम्रपान करते हैं, उनमें रैसजेलाइन का प्लाज्मा कंसंट्रेशन कम हो सकता है, जो मेटाबॉलिज़िंग एंजाइम CYP1A2 के शामिल होने के कारण होता है।
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संभावित दुष्प्रभाव
कुल मिलाकर, यहाँ इस दवा के सबसे आम दुष्प्रभाव हैं:
- इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण फ्लू या संक्रमण
- स्किन कार्सिनोमा
- ल्युकोपेनिया
- एलर्जी, राइनाइटिस या कंजाइटीवाइटिस
- भूख में कमी
- अवसाद और मतिभ्रम
- सिर दर्द
- वर्टिगो
- एंजाइना पेक्टोरिस
- डर्मेटाइटिस
- पेट फूलना
- तुरंत पेशाब आना
- बुखार या अस्वस्थता
- मस्कुलोस्केलेटल पेन, सर्वाइकल पेन और गठिया
क्या डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को रैसजेलाइन दे सकते हैं?
वर्तमान में गर्भावस्था के दौरान इस दवा को देने के बारे में कोई डायग्नोस्टिक डेटा नहीं हैं। हालांकि, जानवरों पर अध्ययन में गर्भावस्था पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हानिकारक प्रभावों का कोई संकेत नहीं मिला है। इसमें एम्ब्रॉय-फेटल डेवलपमेंट, जन्म और प्रसवोत्तर विकास शामिल हैं।
फिर भी इसे लेने वाली गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए। इसके अलावा, रैसजेलाइन स्तनपान में हस्तक्षेप कर सकता है। प्रयोगात्मक आंकड़ों के अनुसार, यह दवा प्रोलैक्टिन स्राव को रोकती है। हालाँकि, यह नहीं मालूम है कि क्या स्तन के दूध के साथ रैसजेलाइन का स्राव होता है। इसलिए स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसे लिखते हुए डॉक्टर को सावधानी बरतनी चाहिए।