गुदा के कैंसर के 5 लक्षणों के बारे में जानें
गुदा के कैंसर के बारे में लोगों ने कम सुना है। यह बीमारी चुपचाप होती है और कम लोगों को प्रभावित करती है। अगर इसका शुरू होते ही इलाज हो जाये तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए इसके लक्षणों से परिचित होना जरूरी है।
अगर आपको गुदा से संबंधित कोई तकलीफ हो रही है तो किसी स्पेशलिस्ट से राय लेने में संकोच न करें।
स्पैनिश एसोसिएशन अगेंस्ट कैंसर के अनुसार डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के ट्यूमर्स में से 1.9% गुदा के कैंसर होते हैं।
इसकी संख्या लंग और ब्रेस्ट कैंसर की तुलना में बहुत कम है। लेकिन हाल में इस बीमारी का दर इन कारकों की वजह से बढ़ गया है –
- तम्बाकू का उपयोग
- लम्बी आयु
- ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण
यह महिलाओं को कम और पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है। लेकिन 50 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है।
गुदा के कैंसर की सबसे बड़ी खराबी यह है कि इसके कोई खास दिखाई देने वाले लक्षण नहीं होते हैं और यह चुपचाप बढ़ता रहता है।
इसके आलावा बहुत से लोग जिनको बवासीर होता है वे खून निकलने और सूजन के लक्षणों को बवासीर से जुड़ा हुआ समझते हैं। इसलिए वे उचित चिकित्सा नहीं करवाते हैं।
किसी भी परेशानी का ठीक से सामना करने के लिए उसके बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी है। आइये हम इस बीमारी की कुछ खास बातों के बारे में जानें।
गुदा के कैंसर के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें
अक्सर हम अपने शरीर की प्रक्रियाओं की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। हम बाथरूम जाते हैं पर यह नहीं देखते हैं कि स्टूल में खून तो नहीं आ रहा है।
याद रहे, मल त्याग करने में सिर्फ गुदा ही नहीं बल्कि आंते, खास तौर से बड़ी आंत भी हिस्सा लेती है।
उसकी गोल मांसपेशियां बहुत सारे सेल्स से बनी होती हैं। अनेक कारणों की वजह से इनमें जेनेटिक बदलाव हो सकता है और असामान्य या कैंसर वाले सेल्स पैदा हो सकते हैं।
हम कुछ खतरे के कारकों का नियंत्रण कर सकते हैं लेकिन जैसा कि आप जानते हैं एक सेहतमंद जीवन शैली अपनाकर भी कैंसर से पूरी तरह बचाव नहीं किया जा सकता है।
बहुत से ऐसे कारक हो सकते हैं जिनकी ओर ध्यान देना हम भूल सकते हैं और बीमारी बढ़ सकती है। इसलिए इसके लक्षणों के बारे में जानना जरुरी है।
1. खून निकलना
गुदा के कैंसर का ये मुख्य लक्षण है जिसके बारे में आपको मालूम होना चाहिए। अगर कभी-कभार गुदा से खून निकलता है तो वह किसी और कारक की वजह से हो सकता है। इसलिए मेडिकल जांच करवाना जरूरी है।
- कभी-कभी बवासीर, एक मामूली संक्रमण या अन्य किसी बीमारी के कारण खून निकल सकता है। एक स्पेशलिस्ट इसका सही निदान कर सकता है।
- जैसे ही आपको यह परेशानी हो आप अपने डॉक्टर से जरूर राय लें।
2. भरा हुआ महसूस करना
ज्यादातर गुदा के कैंसर के मरीजों को मलाशयी जगह में भरा हुआ सा महसूस होता है। उस जगह पर बढ़ते हुए मांस की वजह से उनको तकलीफ होती है और खुजली भी होती है।
- जब तब इस मांस के कारण आंतों के पारगमन में भी बाधा होती है। इसकी वजह से एक व्यक्ति का अपनी गुदा की मांसपेशियों पर नियंत्रण भी खो सकता है।
- शुरू में इसके बारे में पता नहीं चलता है। ज्यादातर लोग 6 महीने तक इंतज़ार करते हैं। जब ये लक्षण ठीक से दिखाई देने लगते हैं तब वे अपने डॉक्टर से मिलने जाते हैं।
3. मस्से निकलना
अगर गुदा के हिस्से में मस्से निकलते है तो वे गुदा के कैंसर के सूचक हो सकते हैं। वे आंतों में या बाहर के हिस्से में निकल सकते हैं। उनके कारण असुविधा हो सकती है।
बहुत से मरीज इनको आम दाने समझते हैं। लेकिन इनकी ओर ध्यान रखना चाहिए।
इनके बारे में अपने डॉक्टर को बताने में संकोच न करें। ऐसा करने से आपको सच्चाई मालूम हो जायेगी और आपका मन शांत हो जायेगा।
4. मल त्याग में परिवर्तन
जब तब पेट खराब होना एक सामान्य बात है। सभी को कभी न कभी कॉनस्टिपेशन या डायरिया होता है।
- लेकिन अगर गुदा की मांसपेशियों पर नियंत्रण नहीं रह जाता है तो यह चिंता करने की बात हो सकती है।
- जैसे-जैसे ट्यूमर्स बढ़ते हैं मरीज के गुदा के हिस्से में द्रव स्राव हो सकता है।
5. खुजली
पीठ के निचले हिस्से में थकान महसूस होना, पेट का दबाव और गुदा के हिस्से में खुजली होना गुदा के कैंसर के होने वाले लक्षण हैं।
- बहुत से लोग सोचते हैं कि बवासीर की वजह से खुजली हो रही है। वे इसके बारे में किसी से चर्चा नहीं करना चाहते हैं। इसलिए राहत पाने के लिए वे क्रीम या अन्य कोई जाना-माना उपाय अपनाते हैं।
- हम एक बार फिर इस बात को दोहराते हैं कि जैसे ही इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे आप अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
अगर जल्दी निदान होता है तो इलाज के सफल होने और व्यक्ति के बचने की ज्यादा संभावना होती है।
कुछ मरीजों के मामले में गुदा के कैंसर का निदान बहुत देर में होता है जब ट्यूमर लिम्फ नोड तक पहुँच जाता है। ऐसे में ट्रीटमेंट भी बहुत आक्रामक होता है।
मेडिकल साइंस बहुत आगे बढ़ गयी है और लगातार नयी टेक्नोलॉजी, नए ट्रीटमेंट और दवाइयों का आविष्कार हो रहा है। इसलिए निराश होने की आवश्यकता नहीं है।
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