5 आसान उपाय वॉटर रिटेंशन को कम करने के लिये
फिट रहने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए लिक्विड रिटेंशन के नाम से जाने जाने वाली वॉटर रिटेंशन किसी बुरे सपने से कम नहीं होती। चरबी को जलाने की हमारे शरीर की गति को कम कर हमारे वज़न को वह बढ़ा जो देती है।
हालत बिगड़ने पर यह और भी गंभीर रूप धारण कर लेती है। वॉटर रिटेंशन की वजह से आप ठीक से आराम नहीं कर पाते। हो सकता है कि अपने घर के सोफे पर लेटकर आप कोई मूवी देख रहे हों और अचानक ही आपके शरीर में ऐंठन या सिहरन होने लगे।
इस समस्या से निजात पाने के लिए रोज़मर्रा की अपनी आदतों में आपको बदलाव लाना होगा। या फिर कम से कम उन्हें कम तो आपको करना ही होगा। लेकिन वॉटर रिटेंशन आखिर होती क्यों है?
हमारे शरीर में मौजूद तरल पदार्थ हमारी रक्त वाहिकाओं या लिम्फैटिक प्रणाली में इकट्ठे हो जाते हैं। कायदे से उन्हें वहां प्रोसेस कर उन्हें शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन कभी-कभी हमारे शरीर में काफ़ी सारा तरल जमा होने लगता है।
अन्य मामलों में पानी की उचित मात्र कुछ भी हो, हमारी रक्त वाहिकायें उन्हें प्रोसेस नहीं कर पाती। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं। ख़राब सर्कुलेशन (रक्तसंचार), मोटापा या गुर्दों का ख़राब हो जाना उसके कुछ आम कारण हैं।
इसीलिए अपनी चिंता को अपने डॉक्टर के सामने बेझिझक रख दें। हो सकता है कि आपके वॉटर रिटेंशन के पीछे किसी गंभीर कारण का हाथ हो।
लेकिन आमतौर पर यह कोई छोटी-मोटी समस्या ही होती है। उसका संबंध इन बातों से हो सकता है:
- एक ही जगह पर काफ़ी लंबे समय तक खड़े या बैठे रहना
- तापमान में आए बदलाव
- आपकी ओव्यूलेशन साइकिल
- पर्याप्त शारीरिक व्यायाम न करना
उसके पीछे इन कारणों का भी हाथ हो सकता है:
- कुछ दवाइयां
- आपके आहार में नमक की ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा
हालात कुछ भी हो, अपनी वॉटर रिटेंशन को कम करने के लिए आपको कुछ न कुछ तो ज़रूर करना चाहिए। परेशान न हों, वे बेहद आसान उपाय होते हैं।
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वॉटर रिटेंशन को कम करने के 5 आसान उपाय
1. दिन में 45 मिनट चलें
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि तेज़ चलने से आपकी ज़िन्दगी में सुधर आ जाता है।
चलते वक़्त आप अपनी मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हैं। आपके ऐसा करने पर आपका खून सहज रूप से ज़्यादा तेज़ी से बहने लगता है।
ऐसे में, आपके खून में मौजूद तरल पदार्थ एक जगह न रहकर फ़ैल जाते हैं। और तो और, चलते वक़्त आए पसीने के साथ उनमें से कुछ तरल पदार्थ बहकर बाहर भी निकल जाते हैं। ऐसा होने पर आपके शरीर को उन्हें निकाल बाहर करने में कम मेहनत करनी पड़ती है।
2. रोज़ाना 8 गिलास पानी पिएं
ज़्यादा वॉटर रिटेंशन से बचने के लिए कुछ लोग पानी पीना ही छोड़ देते हैं। लेकिन यह कोई अच्छी बात नहीं होती। वॉटर रिटेंशन की अवस्था में आपके शरीर को ठीक से काम करने के लिए पानी की ज़रूरत होती है। बेकार पदार्थों से छुटकारा पाने के लिए वह पानी का इस्तेमाल जो करता है।
इस समस्या से परेशान लोगों को तो और भी ज़्यादा पानी पीना चाहिए। उसे किसी ‘बोरिंग’ काम के तौर पर देखने वाले लोगों के लिए वह काफ़ी मुश्किल साबित हो सकता है।
अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं तो हम आपको चाय पीने का सुझाव देंगे। चाय में मूत्रवर्धक गुण होते हैं, वह हमारे शरीर में गर्मी ले आती है व हमारी सेहत के लिए वह बहुत फायदेमंद होती है।
3. कार्बोहाइड्रेट्स खाएं
वज़न कम करने वाली कोई डाइट शुरू करने पर सबसे पहले हम कार्बोहाइड्रेट्स की अपनी खुराक पर ही नकेल कसते हैं। लेकिन सोचने और काम करने की ऊर्जा तो हमें उन्हीं से मिलती है!
साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि कुछ कार्बोहाइड्रेट्स बाकियों से बेहतर होते हैं। कम मात्रा में कम्पलीट कार्बोहाइड्रेट्स और साबुत अनाज के सेवन से बेहतर कुछ नहीं होता। इसके लिए आपको कूटू या गेहूं के आटे को आज़माकर देख लेना चाहिए।
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4. मूत्रवर्धक फल खाएं
बात जब वॉटर रिटेंशन की आती है तो फल भी एक विवादस्पद रूप धारण कर लेते हैं। चीनी की उनकी मात्रा की वजह से उन्हें खाते समय हमें सावधानी बरतनी चाहिए।
लेकिन कार्बोहाइड्रेट्स ही की तरह, तरल से हमें छुटकारा दिलाने में कुछ फल कारगर होते हैं तो कुछ नहीं।
उनमें से सबसे अच्छे फल हैं:
- कीवी
- सेब
- नींबू
- स्ट्रॉबेरी
- अनन्नास
- खरबूज
आप उन्हें साबुत भी खा सकते हैं और उनका जूस या स्मूदी बनाकर उन्हें पी भी सकते हैं।
5. विटामिन बी-6 से युक्त फल खाएं
यह विटामिन तरल पदार्थों में घुल जाता है। उसके बाद उन तरल पदार्थों को निकाल बाहर करने में वह हमारे शरीर की मदद करता है।
विटामिन बी-6 के सबसे बेहतरीन स्रोत हैं:
- फलियाँ
- लीवर
- साबुत अनाज
- होल ग्रेन्स
- फ़्लाउंडर मछली
इस आसान-सी सलाह का पालन कर आप वॉटर रिटेंशन का सामना कर सकते हैं। और ऐसा आप अपनी जेब ढीली किए बगैर, आसानी से मिल जाने वाली सामग्री की मदद से कर सकते हैं।
अपने वॉटर रिटेंशन की चिंता अगर आपको खाए ही जा रही है तो हफ्ते दर हफ्ते एक योजनाबद्ध ढंग से खान-पान करना कोई इतना बुरा ख्याल भी नहीं होगा। ऐसा कर आप यह सुनिश्चित कर लेंगे कि खाना बनाते समय सोच में न डूबकर आप सिर्फ़ खाना बनाने पर ध्यान दे रहे हैं।
इस रणनीति को बहुत से लोग अपने जीवन में अपना रहे हैं। वह उनके बहुत काम भी आती है क्योंकि अक्सर यह माना जाता है कि सेहतमंद खान-पान और पेट भरकर खाने में कोई मेल नहीं होता।
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