'मुझे तब तुमसे प्यार था, पर अब नहीं है'

किसी भी रिश्ते को ज़िन्दा रखने की कला आना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है अपने प्यार के ख़त्म हो जाने पर उस रिश्ते को ख़त्म करने की कला को सीखना। इससे आपके दिल को ठेस भले ही पहुंचे, पर अनावश्यक पीड़ा से बचने के लिए यह बेहद ज़रूरी होता है।
'मुझे तब तुमसे प्यार था, पर अब नहीं है'

आखिरी अपडेट: 19 सितंबर, 2018

समुंदर में तैरती मछली की तरह, किसी रिश्ते को भी लगातार चलते रहने चाहिए। मछलियाँ लगातार तैरती हैं, उछलती-कूदती हैं, गोते लगाती हैं… पर रुक जाने पर वे दम तोड़ देती हैं। अगर आपका रिश्ता भी ऐसे पड़ाव पर पहुँच चुका है, तो शायद आपके लिए भी यह कहने का वक़्त आ गया है, ‘मुझे तब तुमसे प्यार था, पर अब नहीं है।’

ज़िन्दगी में दिल टूट जाने जितने दर्दनाक अनुभव कम ही होते हैं। कुछ मामलों में तो बात इतनी जटिल हो जाती है कि अपने दिल में बसे इंसान को अलविदा कहना बहुत मुश्किल हो जाता है।

हम रिश्ते बनाने के लिए ही बने हैं

इंसान आपस में संबंध बनाने के लिए ही बने हैं। भले ही वे संबंध आपके अपने परिवार से हों, अपने दोस्तों से हों, अपने साथी से हों या फिर अपने बच्चों से। इसलिए अचानक किसी रिश्ते को तोड़ना बहुत तकलीफ़देह होता है।

इंसान हैं तो प्यार तो होगा ही

लेकिन जो बात लोग अक्सर भुला देते हैं, वह यह है कि रिश्तों में भी जान होती है। इसका मतलब है, उन्हें कभी न कभी बदलना ही पड़ता है, और यह बदलाव हमेशा कोई अच्छा बदलाव नहीं होता। हो सकता है, आपकी ज़िन्दगी में कोई और आकर आपके नज़रिये को बदल दे। इन बातों से भी काफ़ी फर्क पड़ता है।

इसलिए “अब मैं तुम्हें नहीं चाहता/चाहती” कहने का वक़्त आने पर दर्द, गुस्सा, निराशा और अकेलापन महसूस करना स्वाभाविक है। आपको बुरा लगता है, दर्द होता है। जिस पर आपने भरोसा किया, वही आपके भरोसे को तोड़कर चला गया।

फिर भी, बर्दाश्त के बाहर जा चुके किसी रिश्ते को ख़त्म करना अच्छी बात भी हो सकती है। आप अपनी बर्दाश्त की सीमा तक लड़ते रहते हैं। आपका दर्द इतना बढ़ जाता है कि उस रिश्ते से दूर भाग जाने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं बचता।

टूटा हुआ दिल

दिल को टूटता हुआ महसूस करना ब्रेकअप के दर्द का सबसे आम तजुर्बा है। इस शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा से हमें काफ़ी दुःख होता है। इससे ज़िन्दगी की अधिकाँश चीज़ों में हम अपनी दिलचस्पी खो बैठते हैं।

प्यार और दर्द एक ही सिक्के के दो पहलू हैं

ऐसा महसूस करना इतना आम क्यों है? किसी रिश्ते के टूट जाने से आपका दिल भी क्यों टूट जाता है? इसका कारण है, आप किसी से प्यार करने और ‘प्यार’ शब्द के बीच के फर्क से परिचित नहीं हैं। ज़्यादातर लोगों के लिए यह एक ही बात होती है, लेकिन दरअसल ये दो अलग-अलग चीज़ें हैं।

किसी से प्यार करने का अर्थ एक ऐसा आकर्षण और चाहत महसूस करना है, जिससे आपके पेट में कुछ होने लगे। हालांकि  उस प्यार के गायब हो जाने पर स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करना ज़रूरी हो जाता है। क्या प्यार आपकी पकड़ से निकल कर भाग चुका है?

एक ऐसे इंसान के साथ रहना, जिसे आप प्यार न करते हों, कभी-कभी उलझन का सबब बन जाता है। आपकी दीवानगी अस्थायी थी, लेकिन उसी की वजह से आपने ज़िंदादिल महसूस किया। उस दीवानगी के ख़त्म हो जाने पर “मैं अब तुमसे प्यार नहीं करता/करती” वाली भावना प्रबल होती जाती है।

“मुझे अब तुमसे प्यार नहीं”

अपने प्यार के ख़त्म हो जाने पर क्या करें

अपने साथी से यह कहना कि अब आप उसे नहीं चाहते एक मुश्किल और जटिल काम होता है। आप अच्छी तरह जानते हैं कि उसकी प्रतिक्रिया नकारात्मक ही होगी। इसके बावजूद आपको अपने दिल की बात साफ़-साफ़, ईमानदारी से कह देनी चाहिए। ऐसा करना आसान तो नहीं, पर ज़रूरी अवश्य होता है।

यह बात आपको अपने साथी से मिलकर साफ़-सच्चे शब्दों में कह देनी चाहिए जिससे उसके मन में कोई शंका न रह जाए। ऐसा करने से आप कई परेशानियों से बच जाते हैं।

आमतौर पर आपकी इस स्वीकृति के बाद आप दोनों के बीच कोई झगड़ा हो जाएगा, आरोप-प्रत्यारोप होगा और आपके गुस्से और निराशा की आग को हवा देने वाली कई प्रतिक्रियाएं होंगी। लेकिन ऐसी कोई भी प्रतिक्रिया करने से बचें। आपके साथी को भी ठेस पहुंची है। आपको उसकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिए।

“मैं अब तुमसे प्यार नहीं करता/करती” कहने के लिए हिम्मत चाहिए। साथ ही, आपमें अपने साथी के प्रति सहानुभूति भी होनी चाहिए। डरे बगैर अपने रिश्ते के बारे में अपनी राय साझा करने का सबसे अच्छा तरीका ढूंढ निकालें। इस तरह, अपनी सहानुभूति प्रकट करते हुए आप उस रिश्ते को ख़त्म करने की अपनी इच्छा के कारण को भी स्पष्ट कर सकते हैं।

क्या आपको भी कभी “मैं अब तुमसे प्यार नहीं करता” कहने में आने वाली मुश्किल का सामना करना पड़ा है? यह दोनों ही साथियों के लिए जटिल स्थिति होती है। इसलिए ऐसा करने से पहले गहरा सोच-विचार ज़रूर करें।

लेकिन अपने साथी को अपना फैसला सुनाने में ज़्यादा इंतज़ार भी न करें। इसमें आप जितना समय लेंगे, आपके लिए यह उतना ही मुश्किल होता जाएगा। ज़रूरी बातों को जल्द से जल्द व बेझिझक कह दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से आप ज्यादा तकलीफ़ पाने से बच जाएंगे।



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यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।