विज्ञान के अनुसार डीप ब्रीदिंग के 7 आश्चर्यजनक फायदे

गहरी सांसें लेना एक अच्छी आदत होती है। रिलैक्स करने में आपकी मदद करने के अलावा टॉक्सिन्स को निकाल बाहर करने व यहाँ तक कि अपने पाचन तंत्र को बेहतर बनाने का भी वे एक कारगर उपाय होती हैं।
विज्ञान के अनुसार डीप ब्रीदिंग के 7 आश्चर्यजनक फायदे

आखिरी अपडेट: 09 मार्च, 2019

नियमित रूप से गहरी या धीमी सांसें लेने से हमारे तन और मन में शांति और तंदरुस्ती का संचार होता है।

योग या माइंडफुलनेस के अभ्यास में सांस लेने की तकनीक बहुत अहमियत रखती है।

लेकिन बौद्ध धर्म और मेडिटेशन से इन प्रथाओं के क्लासिक संबंध के अलावा भी डीप ब्रीदिंग हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कोई असामान्य चीज़ नहीं होती।

इसीलिए तनिक ठहरकर सांस लेने के अपने तरीके  पर हम शायद ही कभी विचार करते हों।

लेकिन यहाँ दिलचस्प बात तो यह है कि स्टैनफोर्ड विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों के एक रोचक अध्ययन ने यह दिखाया है कि डीप ब्रीदिंग से हमें कैसे-कैसे फायदे हो सकते हैं

इस अध्ययन के बायोकेमिस्ट और वरिष्ठ लेखक मार्क क्रासनो ने तो यहाँ तक बताया है कि भावनाओं को नियंत्रित करने व चिंता को कम करने के लिए डीप ब्रीदिंग को रिलैक्सेशन, ध्यान और यहाँ तक कि कार्यकुशलता से भी जोड़ देने वाले न्यूरॉन्स के एक ऐसे छोटे-से समूह की पहचान उन्होंने की है।

इस सरल-सुलभ रणनीति को हम सभी को अभ्यास में लाना चाहिए।

आपको तो बस अपना मुंह खोलकर गहरी, स्थिर और धीमी सांसें भरनी हैं।

क्या आप अभी ऐसा ही कर रहे हैं? यह तो बड़े ही कमाल की बात है!

तो आइए, एक नज़र डालते हैं डीप ब्रीदिंग के कुछ फायदों पर।

1. डीप ब्रीदिंग आपके तनाव और चिंता को नियंत्रित करती है

डीप ब्रीदिंग (Deep Breathing) आपके तनाव को भी कम करती है

सांस लेना हमारे शरीर की एक अनैच्छिक क्रिया होती है। ऑक्सीजन को अपने अंदर खींचकर हमारी कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है।

हमारी कोशिकाओं की श्वसन-प्रक्रिया के उपफल के रूप में पैदा होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को हम सांस के माध्यम से बाहर निकाल देते हैं।

धीमी, लयबद्ध और गहरी सांसें भरने वाली इस जादुई-सी प्रक्रिया से हमें काफ़ी फायदा होता है।

लेकिन हममें से ज़्यादातर लोग इस बात को भलीभांति समझते होंगे कि जब हम डरे या सहमे होते हैं, तब हमारी सांसें अस्थिर और तेज़ हो जाती हैं। यानी कि हमारी टूटी-उखड़ी साँसों की वजह से हमारा दिल “फड़फड़ाने” लगता है।

खुशकिस्मती से, हमें रिलैक्स करने के लिए हमारे पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को नियमित करने की क्षमता डीप ब्रीदिंग में होती है। इसके फलस्वरूप हमारा दिल और मन शांत हो जाते हैं।

अपने शरीर को धीरे-धीरे, नियमित व समान रूप से ऑक्सीजन देने से हमारी मांसपेशियां कसने से बच जाती हैं

ऐसा तब होता है, जब हमारा सिम्पेथेटिक सिस्टम हमारे शरीर को कॉर्टिसोल और एड्रेनालाईन की उच्च मात्रा देनी बंद कर देता है।

हमारा तन और मन शांत होने लगते हैं।

2. यह टॉक्सिन का सफ़ाया कर देती है

आइए एक दिलचस्प तथ्य पर गौर करते हैं: सांस बाहर छोड़ते वक़्त हमारे शरीर का डिज़ाइन कई टॉक्सिन को निकाल बाहर करने के अनुकूल होता है

हमारे शरीर की मेटाबोलिक प्रक्रियाओं के फलस्वरूप पैदा होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड एक प्राकृतिक टॉक्सिन होता है। उसे नियमित रूप से हमारे शरीर से बाहर निकाला जाना चाहिए।

लेकिन जब हमारे फेफड़े तेज़ सांसें भरने के आदी हो जाते हैं, तब हमें उन सभी टॉक्सिक पदार्थों से छुटकारा नहीं मिल पाता।

इसीलिए आपको इस बात की जानकारी ज़रूर होनी चाहिए। हमें दिन में 2 या 3 बार कम से कम 10 मिनट तक डीप ब्रीदिंग करनी चाहिए।

3. डीप ब्रीदिंग से हमें दर्द कम महसूस होता है

डीप ब्रीदिंग आपको दर्द से राहत दिलाती है

दर्द होने पर हम अक्सर अनजाने में ही अपनी सांस थाम लेते हैं।

किसी चीज़ से ठोकर खाने पर या कोई चोट लगने पर यह हमारे दिमाग की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है।

लेकिन अगर अपने आर्थराइटिस, ल्यूपस या फाइब्रोम्याल्जिया की वजह से आपको स्थायी व नियमित रूप से दर्द होता है तो अपनी सांस रोकने की जगह आपको डीप ब्रीदिंग करनी चाहिए

कुछ सेकंड तक अपनी सांस को रोके रखने की कोशिश कर एक गहरी, धीमी सांस लें।

ऐसा करने पर आपके शरीर में एंडोर्फिन्स नामक प्राकृतिक एनाल्जेसिक बनने लगते हैं।

4. उससे आपकी मुद्रा में सुधार आ जाएगा

आज ही से डीप ब्रीदिंग जैसी आसान-सी आदत को अपना लेने से आपकी शारीरिक मुद्रा व ख़ासकर आपकी पीठ और गर्दन की धुरी बेहतर हो जाएगी

अपने फेफड़ों में हवा भर लेने से आप अपनी रीढ़ की हड्डी को एक ज़्यादा सुडौल, संतुलित और स्वस्थ मुद्रित में ला पाने में सफल होंगे

5. डीप ब्रीदिंग से आपकी लिम्फैटिक प्रणाली बेहतर ढंग से काम करने लगती है

डीप ब्रीदिंग से आपकी लिम्फैटिक प्रणाली में सुधार आ जाता है

आपकी लिम्फैटिक प्रणाली आपके शरीर के इम्यून सिस्टम का एक अहम अंग होती है। वह कई तरह की भूमिकायें निभाने वाली लिम्फैटिक वाहिकाओं, टिशूज़, अंगों व लिम्फ नोड्स का एक जटिल नेटवर्क होता है।

लिम्फैटिक फ्लूइड की उन्हीं में से एक भूमिका होती है हमारे शरीर से मृत कोशिकाओं व अन्य मल पदार्थों को निकाल बाहर करना

डीप ब्रीदिंग की मदद से अपने खून में मौजूद प्लास्मा को ठीक से बहने देकर आप अपने शरीर से अधिक कुशलता से काम करवा पाते हैं

6. वह आपके दिल की सेहत का ख्याल रखती है

एरोबिक एक्सरसाइज (कार्डियो) ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमारे शरीर में जमा चर्बी का इस्तेमाल करती है। दूसरी तरफ़, अनेरोबिक एक्सरसाइज (स्ट्रेंथ ट्रेनिंग) ऊर्जा पाने के लिए ग्लूकोस का इस्तेमाल करती है।

लेकिन रोज़ाना डीप ब्रीदिंग “एक्सरसाइज” की आदत डाल लेने से आप एक शानदार कार्डियो रूटीन बना लेते हैं

इससे आपकी कार्डियोवैस्कुलर सेहत बेहतर हो जाती है व फैट सेल्स को जलाने में आपको मदद मिलती है

7. डीप ब्रीदिंग से आपकी पाचन-क्रिया में सुधार आ जाता है

पाचन के लिए डीप ब्रीदिंग

डीप ब्रीदिंग से तो आपके पाचन में भी सुधार आ जाता है।

यह बेहद सरल होता है। अपने शरीर को एक ज़्यादा नियमित दर से ऑक्सीजन देकर आप ऑक्सीजन को अपने पाचक अंगों तक भी पहुँच देते हैं। नतीजतन वे अधिक कारगर ढंग से काम कर पाते हैं।

और तो और, इससे आपका रक्तसंचार अच्छा हो जाता है और आप आसानी से हल्के हो पाते हैं

यहाँ हम इस बात की भी अनदेखी नहीं कर सकते कि डीप ब्रीदिंग आपके तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करती है। आपको पहले से ज़्यादा शांत महसूस करवाकर वह आपकी पाचन-क्रिया को भी शांत और कारगर बना देती है।

यहाँ तक कि पोषक तत्वों को भी आप बेहतर ढंग से सोख पाते हैं!

सांस लेने की इस आसान-सी कला के कमाल के फायदों पर अब तो आपको विश्वास हो गया है न? आज ही से उसे अपनाना शुरू कर रोज़मर्रा के अपने जीवन को बेहतर बनाएं!



  • A. Fuente. Respiración anaerobia. Solid Converter. 2008
  • L. Barrios, M. Puente, A. Castillo et al. Hábito de respiración bucal en niños. Revista Cubana Ortodoncia.
  • E. García-Garu, A. Fusté Esclano, A. Bados López. Manual de Entrenamiento en respiración. Universidad de Barcelona. 2008

यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।