सिंगल हो या किसी के साथ, कोई फर्क नहीं पड़ता: बस खुश रहो

अपने रिलेशनशिप स्टेटस की परवाह न करें, बस खुश रहें। एक अकेली महिला को "वे क्या कहेंगे," इस डर से अपने लिये पार्टनर ढूँढने की जरूरत नहीं है।
सिंगल हो या किसी के साथ, कोई फर्क नहीं पड़ता: बस खुश रहो

आखिरी अपडेट: 14 सितंबर, 2018

आज भी, कई समाजों में एक अकेली महिला को एक समस्या के नजरिये से देखा जाता है। अभी ज्यादा समय नहीं हुआ जब हमने चीन में महिलाओं की कहानी के बारे में लिखा था, जिन्हें 25 साल की उम्र तक पति नहीं मिल पाने पर उनके अपने परिवार और बाकी सोसाइटी द्वारा उन्हें “कूड़े-कचरे” के रूप में देखा जाता था।

ऐसी ही हालत और देशों में भी अलग-अलग तरीकों से दिखाई देती है। इन सबके लिये  जिम्मेदार है, ऐसी महिलाओं के लिए एक गलत नजरिया जो एक अनचाहे रिश्ते में रहने के बजाय अकेले रहना पसंद करती हैं।

जानी-मानी एन्थ्रोपोलॉजिस्ट हेलेन फिशर, जो रिश्तों और समाज में महिलाओं की छवि पर किये गये उनके अध्ययनों को लेकर काफी मशहूर हैं, ने अपनी किताब “द फर्स्ट सेक्स” में उस महिला के बारे में बताया है जो अपने लिये पति ढूँढने के लिए मजबूर नहीं है और जो समाज में अपनी जीत हासिल करती है।

यह वह महिला है जो जानती है कि खुश कैसे रहना है।

आज, इस बारे में चर्चा करने के लिए हम आपका स्वागत करते हैं।

एक पैट्रीआर्कल सोसाइटी और मैट्रीआर्कल सोसाइटी में अकेले रहना

यहाँ हमें एक अजीब-सा दोहरापन देखने को मिलता है। कुछ देश आज भी बहुत पुरुष-प्रधान हैं (उदाहरण के लिए चीन और भारत), जहां एक जवान महिला को शादी के बंधन में बंधना ही पड़ता है।

दूसरे देशों में, हालांकि, वह परिवार की मां होती है जो अपनी बेटी पर परिवार को बड़ा करने और वंश को आगे बढ़ाने के लिए दबाव डालती है।

एक मां जो नाती-पोते चाहती है या अपनी बेटी को अपने जीवनसाथी के साथ देखना चाहती है, एक पति जिसके पास अच्छी नौकरी हो, ये कुछ पुरानी धारणायें हैं जो परंपराओं की वजह से नये दौर में भी चली आ रही है।

यही वजह है कि एक बार इस बारे में चर्चा करना बहुत जरूरी है।

2-औरत और बाघ

जोड़े जो आते हैं और जाते हैं

सच्चाई यह है कि ज्यादातर लोगों को अच्छे से पता है कि यह लाइफ-पार्टनर खोजना कोई आसान काम नहीं है। जिंदगी के सफ़र में लोग विकसित होते हैं, आगे बढ़ते हैं, बदलते हैं और बेहतर बनते हैं, और हो सकता है कि इस पूरे सफ़र में उनके एक या एक से ज्यादा रोमांटिक साथी रहे हों।

  • यह एक जानी-मानी सच्चाई है कि आप किसी आदमी के साथ अनगिनत बेहतरीन पल बिता सकते हैं, फिर रिश्ते को ख़त्म करते हैं और उतनी ही संतुष्टि के साथ अकेलेपन की एक नई स्थिति में जा सकते हैं।
  • आप अपनी जिंदगी पूरी तरह से सिंगल या जोड़े के रूप में जी सकते हैं, जब तक कि आप के आस-पास के लोग आदर-सम्मान देने वाले हों और आपको आपकी जिन्दगी के साथ खुश रहने दें।
  • आपकी निजी आजादी एक गिफ्ट है, और हो सकता है कि बदकिस्मती से इसे हर समाज में बढ़ावा नहीं दिया जाये। आप आज भी उन लड़कियों और जवान महिलाओं के बारे में खबरें पढ़कर चौंक जायेंगे, जो रिश्तों में बेची और खरीदी जाती हैं,  जैसे बाजार में सामान।
  • एक औरत कोई सामान नहीं है, और उसका पति नहीं है तो इसलिये उसे कभी भी “अधूरा” नहीं समझा जाना चाहिए।
  • हम सभी पूरे आदमी हैं जो अपने नजरिये के साथ, धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहते हैं, विकसित होते रहते हैं, जिससे पता चलता है कि हम कैसा बनना चाहते हैं। चाहे हमारा कोई साथी हो या न हो।

सिंगल हैं और “ढूंढ नहीं रहे हैं” (Being single and “not searching”)

एक और आम धारणा जो समाजों में सबसे ज्यादा फैली है वो ये कि अगर किसी आदमी की शादी नहीं हुयी है, चाहे वह आदमी हो या औरत, उसे लगातार अपने दूसरे “आधे” की तलाश करते रहना होगा।

  • हर आदमी को उस काम को करने की आजादी है जो वो करना चाहते हैं। अगर वे अपने लिये एक पार्टनर की तलाश करना चाहते हैं तो वे कर सकते हैं, लेकिन अगर वे चाहें तो नहीं करेंगे। जिन्दगी जो चाहती है उसे होने दें, और बस खुश रहें।
  • वे बस अपने सामाजिक रिश्तों, अपने परिवार और अपने काम का मज़ा लेने में खुश रह सकते हैं। उन्हें खुद को पूरा करने के लिए किसी दूसरे की तलाश करने की जरुरत नहीं है।
  • यह संतुलन और अंदरूनी शांति एक अच्छा संतोष और खुशहाली दे सकती है।

इसके अलावा, यह उन्हें और ज्यादा मिच्योर रिश्ते बनाने की आजादी देता है, जहां दोनों पार्टनर खुश रहते हैं, वे जो भी हैं और खाली या डरे हुये नहीं होते हैं।

3-फूल

आज की महिलायें

चलिये, हेलेन फिशर के कुछ सिद्धांतों पर नजर डालते हैं। मशहूर ऐन्थ्रपालजिस्ट ने सिमोन डी बेउवोइर के द्वारा लिखी जानी-मानी क्लासिक “द सेकेंड सेक्स” की आलोचना करने के लिए अपनी पुस्तक “द फर्स्ट सेक्स” लिखी थी।

  • इसमें, वह उन औरतों की कई सारी बातों पर गौर करती है जिन्हें समाज में लीडर बनने के लिए अपनी काबिलियत पर भरोसा करने के लिए बढ़ावा दिया गया।
  • फिशर के अनुसार, महिलाओं के दिमाग ज्यादा इन्टूटिवऔर एम्पथेटिक होता है, जो किसी आर्गेनाइजेशन से जुड़े कामों या दूसरे सामान्य कामों के लिये काफी फायदेमंद हो सकता है, इसीलिये इसके लिए लड़ने की जरुरत है।
  • महिलाओं को हर तरीके से अपनी खुशियों को पाना चाहिए, जैसा वे चाहें: एक पार्टनर के साथ, बिना किसी पार्टनर के, बड़े परिवार के साथ, बिना बच्चों के, बढ़िया नौकरी के साथ, या एक साधारण नौकरी के साथ जो उनके मन को शांति दे।

यह सोचने वाली बात भी है चाहे महिलायें “फर्स्ट सेक्स” हैं या नहीं – या हम सभी सिर्फ ऐसे लोग हैं जिन्हें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिये और हर किसी के लिए बराबर अवसरों के साथ एक स्वतंत्र समाज बनाना चाहिये।



  • Universidad de Antioquia. Facultad Nacional de Salud Pública “Héctor Abad Gómez,” I., & Correa M., J. C. (2000). Revista Facultad Nacional de Salud Pública. Facultad Nacional de Salud Pública: El escenario para la salud pública desde la ciencia, ISSN-e 0120-386X, Vol. 18, No. 1, 2000. https://doi.org/10.1016/S1071-5819(02)00138-6
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